Wednesday, February 4, 2015

मुरली 05 फरवरी 2015

05-02-15 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे - शान्ति चाहिए तो अशरीरी बनो, इस देह- भान में आने से ही अशान्ति होती है, इसलिए अपने स्वधर्म में स्थित रहो” प्रश्न:- यथार्थ याद क्या है? याद के समय किस बात का विशेष ध्यान चाहिए? उत्तर:- अपने को इस देह से न्यारी आत्मा समझकर बाप को याद करना - यही यथार्थ याद है । कोई भी देह याद न आये, यह ध्यान रखना जरूरी है । याद में रहने के लिए ज्ञान का नशा चढ़ा हुआ हो, बुद्धि में रहे बाबा हमें सारे विश्व का मालिक बनाते हैं, हम सारे समुद्र, सारी धरनी के मालिक बनते हैं । गीत:- तुम्हें पाके हमने.. ओम् शान्ति | अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. विकर्माजीत बनने के लिए योगबल से विकर्मों पर जीत प्राप्त करनी है । यहाँ देखते हुए बुद्धियोग बाप और वर्से में लगा रहे । 2. बाप के वर्से का पूरा अधिकार प्राप्त करने के लिए मातेला बनना है । एक बाप की ही श्रीमत पर चलना है । बाप जो समझाते हैं वह समझकर दूसरों को समझाना है । वरदान:- अपने फरिश्ते रूप द्वारा गति-सद्गति का प्रसाद बांटने वाले मास्टर गति-सद्गति दाता भव ! वर्तमान समय विश्व की अनेक आत्मायें परिस्थितियों के वश चिल्ला रही हैं, कोई मंहगाई से, कोई भूख से, कोई तन के रोग से, कोई मन की अशान्ति से...... सबकी नजर टॉवर ऑफ पीस की तरफ जा रही है । सब देख रहे हैं हा-हाकार के बाद जय-जयकार कब होती है । तो अब अपने साकारी फरिश्ते रूप द्वारा विश्व के दुख दूर करो, मास्टर गति सद्गति दाता बन भक्तों को गति और सद्गति का प्रसाद बांटो । स्लोगन:- आप हिम्मत का एक कदम बढ़ाओ तो बाप मदद के हजार कदम बढ़ायेंगे ।