Saturday, February 21, 2015

मुरली 22 फरवरी 2015

रिवाइज 03-02-79

सर्व पर रहम करो, 'वहमऔर 'अहमभाव को मिटाओ

वरदान:- मास्टर ज्ञान सागर बन गुड़ियों का खेल समाप्त करने वाले स्मृति सो समर्थ स्वरूप भव !

जैसे भक्ति मार्ग में मूर्ति बनाकर पूजा आदि करते हैंफिर उन्हें डुबो देते हैं तो आप उसे गुड़ियों की पूजा कहते हो । ऐसे आपके सामने भी जब कोई निर्जीवअसार बातें ईर्ष्याअनुमानआवेश आदि की आती हैं और आप उनका विस्तार कर अनुभव करते या कराते हो कि यही सत्य हैंतो यह भी जैसे उनमें प्राण भर देते हो । फिर उन्हें ज्ञान सागर बाप की याद सेबीती सो बीती करस्वउन्नति की लहरों में डुबोते भी हो लेकिन इसमें भी टाइम तो वेस्ट जाता है नाइसलिए पहले से ही मास्टर ज्ञान सागर बन स्मृति सो समर्थी भव के वरदान से इन गुड़ियों के खेल को समाप्त करो ।

स्लोगन:-  जो समय पर सहयोगी बनते हैं उन्हें एक का पदमगुणा फल मिल जाता है ।