Monday, February 3, 2014

Murli-[3-2-2014]-Hindi

`मीठे बच्चे - शिव जयन्ती पर तुम खूब धूमधाम से निराकार बाप की बायोग्राफी सबको सुनाओ, 
यह शिव जयन्ती ही हीरे तुल्य है'' 

प्रश्न:- तुम ब्राह्मणों की सच्ची दीवाली कब है और कैसे? 
उत्तर:- वास्तव में शिव जयन्ती ही तुम्हारे लिए सच्ची-सच्ची दीवाली है क्योंकि शिवबाबा आकर 
तुम आत्मा रूपी दीपक को जगाते हैं। हरेक के घर का दीप जलता है अर्थात् आत्मा की ज्योति 
जगती है। वह स्थूल दीपक जगाते लेकिन तुम्हारा सच्चा दीपक शिव बाप के आने से जगता है 
इसलिए तुम खूब धूमधाम से शिव जयन्ती मनाओ। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) शिवजयन्ती धूमधाम से मनाओ। शिवबाबा के मन्दिर में शिव की और लक्ष्मी-नारायण के 
मन्दिर में लक्ष्मी-नारायण वा राधे-कृष्ण की बायोग्राफी सुनाओ। सबको युक्तियुक्त समझानी दो। 

2) अज्ञान अन्धियारे से बचने के लिए आत्मा रूपी दीपक को ज्ञान घृत से सदा प्रज्जवलित रखना 
है। दूसरों को भी अज्ञान अन्धियारे से निकालना है। 

वरदान:- हर कदम में वरदाता से वरदान प्राप्त कर मेहनत से मुक्त रहने वाले अधिकारी आत्मा भव 

जो हैं ही वरदाता के बच्चे उन्हों को हर कदम में वरदाता से वरदान स्वत: ही मिलते हैं। वरदान ही 
उनकी पालना है। वरदानों की पालना से ही पलते हैं। बिना मेहनत के इतनी श्रेष्ठ प्राप्तियां होना 
इसे ही वरदान कहा जाता है। तो जन्म-जन्म प्राप्ति के अधिकारी बन गये। हर कदम में वरदाता 
का वरदान मिल रहा है और सदा ही मिलता रहेगा। अधिकारी आत्मा के लिए दृष्टि से, बोल से, 
संबंध से वरदान ही वरदान है। 

स्लोगन:- समय की रफ्तार के प्रमाण पुरूषार्थ की रफ्तार तीव्र करो।