Saturday, February 22, 2014

Murli-[22-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - भारतवासियों को सिद्धकर बताओ कि शिव जयन्ती ही गीता जयन्ती है, गीता से फिर होती है श्रीकृष्ण जयन्ती'' 
प्रश्न:- किसी भी धर्म की स्थापना का मुख्य आधार क्या है? धर्म स्थापक कौन-सा कार्य नहीं करते जो बाप करते हैं? 
उत्तर:- किसी भी धर्म की स्थापना के लिए पवित्रता का बल चाहिए। सभी धर्म पवित्रता के बल से स्थापन हुए। लेकिन कोई भी धर्म स्थापक किसी को पावन नहीं बनाते क्योंकि जब धर्म स्थापन होते हैं तब माया का राज्य है, सबको पतित बनना ही है। पतितों को पावन बनाना - यह बाप का ही काम है। वही पावन बनने की श्रीमत देते हैं। 
गीत:- इस पाप की दुनिया से........ 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) ज्ञान अमृत धारा से सबको निरोगी वा स्वर्गवासी बनाने की सेवा करनी है। मनुष्यों को देवता बनाना है। बाप समान मास्टर रहमदिल बनना है। 
2) ज्ञान की पराकाष्ठा से बुद्धिवान बन शिवजयन्ती पर सिद्ध करना है कि शिव जयन्ती ही गीता जयन्ती है, गीता ज्ञान से ही श्रीकृष्ण का जन्म होता है। 
वरदान:- विश्व में ईश्वरीय परिवार के स्नेह का बीज बोने वाले विश्व सेवाधारी भव 
आप विश्व सेवाधारी बच्चे विश्व में ईश्वरीय परिवार के स्नेह का बीज बो रहे हो। चाहे कोई नास्तिक हो या आस्तिक.....सबको अलौकिक वा ईश्वरीय स्नेह की, नि:स्वार्थ स्नेह की अनुभूति कराना ही बीज बोना है। यह बीज सहयोगी बनने का वृक्ष स्वत: ही पैदा करता है और समय पर सहजयोगी बनने का फल दिखाई देता है। सिर्फ कोई फल जल्दी निकलता है और कोई फल समय पर निकलता है। 
स्लोगन:- भाग्यविधाता बाप को जानना, पहचानना और उनके डायरेक्ट बच्चे बन जाना यह सबसे बड़ा भाग्य है।