Saturday, February 15, 2014

Murli-[15-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - बाप आये हैं काँटों को फूल बनाने, बाप का प्यार काँटों से भी है, तो फूलों से भी है। 
काँटों को ही फूल बनाने की मेहनत करते हैं'' 

प्रश्न:- जिन बच्चों में ज्ञान की धारणा होगी उनकी निशानी सुनाओ? 
उत्तर:- वह कमाल करके दिखायेंगे। वह अपना और दूसरों का कल्याण करने के बिगर रह नहीं 
सकते। तीर लग गया तो नष्टोमोहा बन रूहानी सार्विस में लग जायेंगे। उनकी अवस्था एकरस 
अचल-अडोल होगी। कभी कोई बेसमझी का काम नहीं करेंगे। किसी को भी दु:ख नहीं देंगे। 
अवगुण रूपी काँटों को निकालते जायेंगे। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) विनाशी शरीर से दिल नहीं लगानी है। मोहजीत बनना है, प्रतिज्ञा करो कि कोई भी शरीर छोड़े, 
हम कभी रोयेंगे नहीं। 

2) बाप समान मीठा बनना है, सबको सुख देना है। किसको दु:ख नहीं देना है। काँटों को फूल बनाने 
की सेवा करनी है। अपना और दूसरों का कल्याण करना है। 

वरदान:- ज्ञान सम्पन्न दाता बन सर्व आत्माओं के प्रति शुभचिंतक बनने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव 

शुभ-चिंतक बनने का विशेष आधार शुभ चिंतन है। जो व्यर्थ चिंतन वा परचिंतन करते हैं वह शुभ 
चिंतक नहीं बन सकते। शुभचिंतक मणियों के पास शुभ-चिंतन का शक्तिशाली खजाना सदा भरपूर 
होगा। भरपूरता के कारण ही औरों के प्रति शुभचिंतक बन सकते हैं। शुभचिंतक अर्थात् सर्व ज्ञान 
रत्नों से भरपूर, ऐसे ज्ञान सम्पन्न दाता ही चलते-फिरते हर एक की सेवा करते श्रेष्ठ सेवाधारी 
बन जाते हैं। 

स्लोगन:- विश्व राज्य अधिकारी बनना है तो विश्व परिवर्तन के कार्य में निमित्त बनो।