``मीठे बच्चे - अब अशरीरी होकर घर जाना है इसलिए जब किसी से बात करते हो तो आत्मा भाई-भाई
प्रश्न:- भविष्य राज तिलक प्राप्त करने का आधार क्या है?
उत्तर:- पढ़ाई। हरेक को पढ़कर राज तिलक लेना है। बाप की है पढ़ाने की ड्युटी, इसमें आशीर्वाद की
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) प्रवृत्ति में रहते आपस में रेस करनी है। परन्तु अगर किसी कारण से एक पहिया ढीला पड़ जाता है
2) शिव जयन्ती बड़ी धूम-धाम से मनानी है क्योंकि शिवबाबा जो ज्ञान रत्न देते हैं, उससे ही तुम नई
वरदान:- सदा एकरस मूड द्वारा सर्व आत्माओं को सुख-शान्ति-प्रेम की अंचली देने वाले महादानी भव
आप बच्चों की मूड सदा खुशी की एकरस रहे, कभी मूड आफ, कभी मूड बहुत खुश... ऐसे नहीं। सदा
स्लोगन:- आपकी विशेषतायें प्रभू प्रसाद हैं, इन्हें सिर्फ स्वयं प्रति यूज़ नहीं करो, बांटो और बढ़ाओ।
समझ बात करो, देही-अभिमानी रहने की मेहनत करो''
प्रश्न:- भविष्य राज तिलक प्राप्त करने का आधार क्या है?
उत्तर:- पढ़ाई। हरेक को पढ़कर राज तिलक लेना है। बाप की है पढ़ाने की ड्युटी, इसमें आशीर्वाद की
बात नहीं। पूरा निश्चय है तो श्रीमत पर चलते चलो। गफ़लत नहीं करनी है। अगर मतभेद में आकर
पढ़ाई छोड़ी तो नापास हो जायेंगे, इसलिए बाबा कहते-मीठे बच्चे, अपने ऊपर रहम करो। आशीर्वाद
मांगनी नहीं है, पढ़ाई पर ध्यान देना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) प्रवृत्ति में रहते आपस में रेस करनी है। परन्तु अगर किसी कारण से एक पहिया ढीला पड़ जाता है
तो उसके पीछे ठहर नहीं जाना है। स्वयं को राजतिलक देने के लायक बनाना है।
2) शिव जयन्ती बड़ी धूम-धाम से मनानी है क्योंकि शिवबाबा जो ज्ञान रत्न देते हैं, उससे ही तुम नई
दुनिया में मालामाल बनेंगे। तुम्हारे सब भण्डारे भरपूर हो जायेंगे।
वरदान:- सदा एकरस मूड द्वारा सर्व आत्माओं को सुख-शान्ति-प्रेम की अंचली देने वाले महादानी भव
आप बच्चों की मूड सदा खुशी की एकरस रहे, कभी मूड आफ, कभी मूड बहुत खुश... ऐसे नहीं। सदा
महादानी बनने वालों की मूड कभी बदलती नहीं है। देवता बनने वाले माना देने वाले। आपको कोई
कुछ भी दे लेकिन आप महादानी बच्चे सबको सुख की अंचली, शान्ति की अंचली, प्रेम की अंचली दो।
तन की सेवा के साथ मन से ऐसी सेवा में बिजी रहो तो डबल पुण्य जमा हो जायेगा।
स्लोगन:- आपकी विशेषतायें प्रभू प्रसाद हैं, इन्हें सिर्फ स्वयं प्रति यूज़ नहीं करो, बांटो और बढ़ाओ।