मीठे बच्चे - सदा बाप की याद का चिंतन और ज्ञान का विचार सागर मंथन
करो तो नई-नई प्वाइंट्स निकलती रहेंगी, खुशी में रहेंगे''
प्रश्न:- इस ड्रामा में सबसे बड़े से बड़ी कमाल किसकी है और क्यों?
उत्तर:- 1- सबसे बड़ी कमाल है शिवबाबा की क्योंकि वह तुम्हें सेकण्ड में परिज़ादा
बना देते हैं। ऐसी पढ़ाई पढ़ाते हैं जिससे तुम मनुष्य से देवता बन जाते हो। दुनिया
में ऐसी पढ़ाई बाप के सिवाए और कोई पढ़ा नहीं सकता। 2- ज्ञान का तीसरा नेत्र
दे अन्धियारे से रोशनी में ले आना, ठोकर खाने से बचा देना, यह बाप का काम है
इसलिए उन जैसी कमाल का वन्डरफुल कार्य कोई कर नहीं सकता।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी अवस्था बहुत धैर्यवत बनानी है। बाप को फालो करना है। किसी भी बात
में अंहकार नहीं दिखाना है। देवताओं जैसा मीठा बनना है।
2) सदा हर्षित रहने के लिए ज्ञान का सिमरण करते रहो। विचार सागर मंथन करो।
हम भगवान् के बच्चे भी हैं तो सर्वेन्ट भी हैं-इसी स्मृति से सेवा पर तत्पर रहो।
वरदान:- स्व के चक्र को जान ज्ञानी तू आत्मा बनने वाले प्रभू प्रिय भव
आत्मा का इस सृष्टि चक्र में क्या-क्या पार्ट है, उसको जानना अर्थात् स्वदर्शन चक्रधारी
बनना। पूरे चक्र के ज्ञान को बुद्धि में यथार्थ रीति धारण करना ही स्वदर्शन चक्र चलाना है,
स्व के चक्र को जानना अर्थात् ज्ञानी तू आत्मा बनना। ऐसे ज्ञानी तू आत्मा ही प्रभू प्रिय हैं,
उनके आगे माया ठहर नहीं सकती। यह स्वदर्शन चक्र ही भविष्य में चक्रवर्ती राजा बना देता है।
स्लोगन:- हर एक बच्चा बाप समान प्रत्यक्ष प्रमाण बनें तो प्रजा जल्दी तैयार हो जायेगी।
करो तो नई-नई प्वाइंट्स निकलती रहेंगी, खुशी में रहेंगे''
प्रश्न:- इस ड्रामा में सबसे बड़े से बड़ी कमाल किसकी है और क्यों?
उत्तर:- 1- सबसे बड़ी कमाल है शिवबाबा की क्योंकि वह तुम्हें सेकण्ड में परिज़ादा
उत्तर:- 1- सबसे बड़ी कमाल है शिवबाबा की क्योंकि वह तुम्हें सेकण्ड में परिज़ादा
बना देते हैं। ऐसी पढ़ाई पढ़ाते हैं जिससे तुम मनुष्य से देवता बन जाते हो। दुनिया
में ऐसी पढ़ाई बाप के सिवाए और कोई पढ़ा नहीं सकता। 2- ज्ञान का तीसरा नेत्र
दे अन्धियारे से रोशनी में ले आना, ठोकर खाने से बचा देना, यह बाप का काम है
इसलिए उन जैसी कमाल का वन्डरफुल कार्य कोई कर नहीं सकता।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी अवस्था बहुत धैर्यवत बनानी है। बाप को फालो करना है। किसी भी बात
में अंहकार नहीं दिखाना है। देवताओं जैसा मीठा बनना है।
2) सदा हर्षित रहने के लिए ज्ञान का सिमरण करते रहो। विचार सागर मंथन करो।
हम भगवान् के बच्चे भी हैं तो सर्वेन्ट भी हैं-इसी स्मृति से सेवा पर तत्पर रहो।
वरदान:- स्व के चक्र को जान ज्ञानी तू आत्मा बनने वाले प्रभू प्रिय भव
आत्मा का इस सृष्टि चक्र में क्या-क्या पार्ट है, उसको जानना अर्थात् स्वदर्शन चक्रधारी
बनना। पूरे चक्र के ज्ञान को बुद्धि में यथार्थ रीति धारण करना ही स्वदर्शन चक्र चलाना है,
स्व के चक्र को जानना अर्थात् ज्ञानी तू आत्मा बनना। ऐसे ज्ञानी तू आत्मा ही प्रभू प्रिय हैं,
उनके आगे माया ठहर नहीं सकती। यह स्वदर्शन चक्र ही भविष्य में चक्रवर्ती राजा बना देता है।
स्लोगन:- हर एक बच्चा बाप समान प्रत्यक्ष प्रमाण बनें तो प्रजा जल्दी तैयार हो जायेगी।