`मीठे बच्चे - तुम्हें तन-मन-धन से सच्ची रूहानी सेवा करनी है, रूहानी सेवा से ही
प्रश्न:- बेफ़िक्र रहने के लिए सदा कौन-सी बात याद रखो? तुम बेफ़िक्र कब रह सकेंगे?
उत्तर:- बेफ़िक्र रहने के लिए सदा याद रहे कि यह ड्रामा बिल्कुल एक्यूरेट बना हुआ है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) माया की बॉक्सिंग में हार नहीं खानी है। पुरूषार्थ में ठण्डा हो बैठ नहीं जाना है।
2) यह ड्रामा एक्यूरेट बना हुआ है, इसलिए किसी भी बात का फिक्र नहीं करना है।
वरदान:- बाप की छत्रछाया में सदा मौज का अनुभव करने और कराने वाली विशेष आत्मा भव
जहाँ बाप की छत्रछाया है वहाँ सदा माया से सेफ हैं। छत्रछाया के अन्दर माया आ नहीं सकती।
स्लोगन:- जो ड्रामा के राज़ को नहीं जानता है वही नाराज़ होता है।
भारत गोल्डन एज बन जायेगा''
प्रश्न:- बेफ़िक्र रहने के लिए सदा कौन-सी बात याद रखो? तुम बेफ़िक्र कब रह सकेंगे?
उत्तर:- बेफ़िक्र रहने के लिए सदा याद रहे कि यह ड्रामा बिल्कुल एक्यूरेट बना हुआ है।
जो भी ड्रामा अनुसार चल रहा है यह बिल्कुल एक्यूरेट है। परन्तु अभी तुम बच्चे बेफ़िक्र
रह नहीं सकते, जब तुम्हारी कर्मातीत अवस्था हो, तब तुम बेफ़िक्र बनेंगे, इसके लिए
योग बहुत अच्छा चाहिए। योगी और ज्ञानी बच्चे छिप नहीं सकते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) माया की बॉक्सिंग में हार नहीं खानी है। पुरूषार्थ में ठण्डा हो बैठ नहीं जाना है।
हिम्मत रख सेवा करनी है।
2) यह ड्रामा एक्यूरेट बना हुआ है, इसलिए किसी भी बात का फिक्र नहीं करना है।
कर्मातीत अवस्था को पाने के लिए एक बाप की याद में रहना है, किसी देहधारी का मुरीद नहीं बनना है।
वरदान:- बाप की छत्रछाया में सदा मौज का अनुभव करने और कराने वाली विशेष आत्मा भव
जहाँ बाप की छत्रछाया है वहाँ सदा माया से सेफ हैं। छत्रछाया के अन्दर माया आ नहीं सकती।
मेहनत से स्वत: दूर हो जायेंगे, मौज में रहेंगे क्योंकि मेहनत मौज का अनुभव करने नहीं देती।
छत्रछाया में रहने वाली ऐसी विशेष आत्मायें ऊंची पढ़ाई पढ़ते हुए भी मौज में रहती हैं, क्योंकि
उन्हें निश्चय है कि हम कल्प-कल्प के विजयी हैं, पास हुए पड़े हैं। तो सदा मौज में रहो और दूसरों
को मौज में रहने का सन्देश देते रहो। यही सेवा है।
स्लोगन:- जो ड्रामा के राज़ को नहीं जानता है वही नाराज़ होता है।