Thursday, February 6, 2014

Murli-[6-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - अपना चार्ट रखो तो पता लगे कि हम आगे बढ़ रहे हैं या पीछे हट रहे हैं, देह-अभिमान 
पीछे हटाता है, देही-अभिमानी स्थिति आगे बढ़ाती है'' 

प्रश्न:- सतयुग के आदि में आने वाली आत्मा और देरी से आने वाली आत्मा में मुख्य अन्तर क्या होगा? 
उत्तर:- आदि में आने वाली आत्मायें सुख की चाहना रखेंगी क्योंकि सतयुग का आदि सनातन धर्म 
बहुत सुख देने वाला है। देरी से आने वाली आत्मा को सुख मांगना आयेगा ही नहीं, वह शान्ति-शान्ति 
मांगेंगे। बेहद के बाप से सुख और शान्ति का वर्सा हर आत्मा को प्राप्त होता है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) शरीर निर्वाह अर्थ कर्म जरूर करो। लेकिन टूमच झंझटों में नहीं फंसना है। ऐसा चिंतन धन्धे 
आदि का न हो जो बाप की याद ही भूल जाये। 

2) अनेक मनुष्य मतों को छोड़ एक बाप की मत पर चलना है। एक बाप की महिमा गानी है। एक 
बाप को ही प्यार करना है, बाकी सबसे मोह निकाल देना है। 

वरदान:- ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा के साथ साथी बन रात को दिन बनाने वाले रूहानी ज्ञान सितारे भव 

जैसे वह सितारे रात में प्रगट होते हैं ऐसे आप रूहानी ज्ञान सितारे, चमकते हुए सितारे भी ब्रह्मा की रात में 
प्रगट होते हो। वह सितारे रात को दिन नहीं बनाते लेकिन आप ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा के साथ साथी बन 
रात को दिन बनाते हो। वह आकाश के सितारे हैं आप धरती के सितारे हो, वह प्रकृति की सत्ता है आप 
परमात्म सितारे हो। जैसे प्रकृति के तारामण्डल में अनेक प्रकार के सितारे चमकते हुए दिखाई देते हैं 
ऐसे आप परमात्म तारामण्डल में चमकते हुए रूहानी सितारे हो। 

स्लोगन:- सेवा का चांस मिलना अर्थात् दुआओं से झोली भरना।