Tuesday, February 4, 2014

Murli-[4-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - आत्म-अभिमानी बनने का अभ्यास करो तो दैवीगुण आते जायेंगे, क्रिमिनल ख्यालात 
समाप्त हो जायेंगे, अपार खुशी रहेगी'' 

प्रश्न:- अपनी चलन को सुधारने वा अपार खुशी में रहने के लिए कौन-सी बात सदा स्मृति में रखनी है? 
उत्तर:- सदा स्मृति रहे कि हम दैवी स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं, हम मृत्युलोक को छोड़ अमरलोक में 
जा रहे हैं - इससे बहुत खुशी रहेगी, चलन भी सुधरती जायेगी क्योंकि अमरलोक नई दुनिया में जाने 
के लिए दैवीगुण जरूर चाहिए। स्वराज्य के लिए बहुतों का कल्याण भी करना पड़े, सबको रास्ता बताना 
पड़े। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बहुतों का कल्याण करने के लिए अपनी जबान बहुत मीठी बनानी है। मीठी जबान से सर्विस करनी है। 
सहनशील बनना है। 

2) कर्मो की गहन गति को समझ विकारों पर जीत पानी है। जगतजीत देवता बनना है। आत्म-अभिमानी 
बन क्रिमिनल दृष्टि को सिविल बनाना है। 

वरदान:- ऊंचा बाप, ऊंचे हम और ऊंचा कार्य इस स्मृति से शक्तिशाली बनने वाले बाप समान भव 

जैसे आजकल की दुनिया में कोई वी.आई.पी. का बच्चा होगा तो वह अपने को भी वी.आई.पी. समझेगा। 
लेकिन बाप से ऊंचा तो कोई नहीं है। हम ऐसे ऊंचे से ऊंचे बाप की सन्तान ऊंची आत्मायें हैं - यह स्मृति 
शक्तिशाली बनाती है। ऊंचा बाप, ऊंचे हम और ऊंचा कार्य - ऐसी स्मृति में रहने वाले सदा बाप समान 
बन जाते हैं। सारे विश्व के आगे श्रेष्ठ और ऊंची आत्मायें आपके सिवाए कोई नहीं हैं इसलिए आपका ही 
गायन और पूजन होता है। 

स्लोगन:- सम्पूर्णता के दर्पण में सूक्ष्म लगावों को चेक करो और मुक्त बनो।