मीठे बच्चे - ज्ञान की तलवार में योग का जौहर चाहिए तब ही विजय होगी, ज्ञान में योग
प्रश्न:- तुम खुदा के पैगम्बर हो, तुम्हें सारी दुनिया को कौन-सा पैगाम देना है?
उत्तर:- सारी दुनिया को पैगाम दो कि खुदा ने कहा है - तुम सब अपने को आत्मा समझो,
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान तलवार में याद का जौहर भरने के लिए कर्म करते अन्तर्मुखी बन अभ्यास
2) प्रवृत्ति में रहते एक-दो को सावधान कर हंस बन ऊंच पद लेना है। क्रोध का अंश भी
वरदान:- देह और देह के दुनिया की स्मृति से ऊंचा रहने वाले सर्व बंधनों से मुक्त फरिश्ता भव
जिसका कोई भी देह और देहधारियों से रिश्ता अर्थात् मन का लगाव नहीं है वही फरिश्ता है।
स्लोगन:- वाणी के साथ चलन और चेहरे से बाप समान गुण दिखाई दें तब प्रत्यक्षता होगी।
का जौहर है तो उसका असर जरूर होगा''
प्रश्न:- तुम खुदा के पैगम्बर हो, तुम्हें सारी दुनिया को कौन-सा पैगाम देना है?
उत्तर:- सारी दुनिया को पैगाम दो कि खुदा ने कहा है - तुम सब अपने को आत्मा समझो,
देह-अभिमान छोड़ो, एक मुझ बाप को याद करो तो तुम्हारे सिर से पापों का बोझा उतर
जायेगा। एक बाप की याद से तुम पावन बन जायेंगे। अन्तर्मुखी बच्चे ही ऐसा पैगाम
सभी को दे सकते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान तलवार में याद का जौहर भरने के लिए कर्म करते अन्तर्मुखी बन अभ्यास
करना है कि मैं आत्मा हूँ। मुझ आत्मा को बाप का फरमान है कि निरन्तर मुझे याद
करो। एक बाप से सच्ची प्रीत रखो। देह और देह वे सम्बन्धियों से ममत्व निकाल दो।
2) प्रवृत्ति में रहते एक-दो को सावधान कर हंस बन ऊंच पद लेना है। क्रोध का अंश भी
निकाल देना है, अपनी सिविल बुद्धि बनानी है।
वरदान:- देह और देह के दुनिया की स्मृति से ऊंचा रहने वाले सर्व बंधनों से मुक्त फरिश्ता भव
जिसका कोई भी देह और देहधारियों से रिश्ता अर्थात् मन का लगाव नहीं है वही फरिश्ता है।
फरिश्तों के पांव सदा ही धरनी से ऊंचे रहते हैं। धरनी से ऊंचा अर्थात् देह-भान की स्मृति से
ऊंचा। जो देह और देह की दुनिया की स्मृति से ऊंचा रहते हैं वही सर्व बन्धनों से मुक्त फरिश्ता
बनते हैं। ऐसे फरिश्ते ही डबल लाइट स्थिति का अनुभव करते हैं।
स्लोगन:- वाणी के साथ चलन और चेहरे से बाप समान गुण दिखाई दें तब प्रत्यक्षता होगी।