Monday, February 17, 2014

Murli-[17-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे-पावन बनने के लिए एक है याद का बल, दूसरा है सजाओं का बल, तुम्हें याद के 
बल से पावन बन ऊंच पद पाना है'' 

प्रश्न:- बाप रूहानी सर्जन है, वह तुम्हें कौन-सा धीरज देने आये हैं? 
उत्तर:- जैसे वह सर्जन रोगी को धीरज देते हैं कि अभी बीमारी ठीक हो जायेगी, ऐसे रूहानी 
सर्जन भी तुम बच्चों को धीरज देते हैं-बच्चे, तुम माया की बीमारी से घबराओ नहीं, सर्जन 
दवा देते हैं तो यह बीमारियां सब बाहर निकलेंगी, जो ख्यालात अज्ञान में भी नहीं आये होंगे, 
आयेंगे। लेकिन तुम्हें सब सहन करना है। थोड़ा मेहनत करो, तुम्हारे अब सुख के दिन आये 
कि आये। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) देवताओं जैसे गुण स्वयं में धारण करने हैं, अन्दर जो भी ईविल संस्कार हैं, क्रोध आदि की 
आदत है, उसे छोड़ना है। विकर्माजीत बनना है इसलिए अब कोई भी विकर्म नहीं करना है। 

2) हीरे समान श्रेष्ठ बनने के लिए ज्ञान अमृत पीना और पिलाना है। काम विकार पर सम्पूर्ण 
विजय पानी है। स्वयं को सतोप्रधान बनाना है। याद के बल से सब पुराने हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं। 

वरदान:- ब्राह्मण जीवन में एकव्रता के पाठ द्वारा रूहानी रॉयल्टी में रहने वाले सम्पूर्ण पवित्र भव 

इस ब्राह्मण जीवन में एकव्रता का पाठ पक्का कर प्युरिटी की रॉयल्टी को धारण कर लो तो सारे कल्प 
में यह रूहानी रॉयल्टी चलती रहेगी। आपके रूहानी रॉयल्टी और प्युरिटी की चमक परमधाम में सर्व 
आत्माओं में श्रेष्ठ है। आदिकाल देवता स्वरूप में भी यह पर्सनैलिटी विशेष रही है, फिर मध्यकाल में 
भी आपके चित्रों की विधिपूर्वक पूजा होती है। इस संगमयुग पर ब्राह्मण जीवन का आधार प्युरिटी की 
रॉयल्टी है इसलिए जब तक ब्राह्मण जीवन में जीना है तब तक सम्पूर्ण पवित्र रहना ही है। 

स्लोगन:- आप सहनशीलता के देव और देवी बनो तो गाली देने वाले भी गले लगायेंगे।