Wednesday, February 12, 2014

Murli-[12-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - विदेही बन बाप को याद करो, स्वधर्म में टिको तो ताक़त मिलेगी, खुशी 
और तन्दुरूस्ती रहेगी, बैटरी फुल होती जायेगी'' 

प्रश्न:- ड्रामा की किस नूँध को जानने के कारण तुम बच्चे सदा अचल रहते हो? 
उत्तर:- तुम जानते हो यह बाम्ब्स आदि जो बने हैं, यह छूटने हैं जरूर। विनाश होगा 
तब तो हमारी नई दुनिया आयेगी। यह ड्रामा की अनादि नूँध है, मरना तो सबको है। 
तुम्हें खुशी है कि हम यह पुराना शरीर छोड़ राजाई में जन्म लेंगे। तुम ड्रामा को साक्षी 
हो देखते हो। इसमें हिलने की बात नहीं, रोने की कोई दरकार नहीं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ज्ञान-योग की मस्ती में रहना है, दिल साफ़ रखनी है। झरमुई-झगमुई (व्यर्थ चिंतन) 
में अपना समय नहीं गँवाना है। 

2) हम आत्मा भाई-भाई हैं, अब वापिस घर जाना है-यह अभ्यास पक्का करना है। 
विदेही बन स्वधर्म में स्थित हो बाप को याद करना है। 

वरदान:- रहम की भावना द्वारा निमित्त भाव से सेवा करने वाले सर्व लगाव मुक्त भव 

वर्तमान समय जब सभी आत्मायें थक कर निराश हो मर्सा मांगती हैं। तो आप दाता के 
बच्चे अपने भाई बहिनों पर रहमदिल बनो। कोई कितना भी बुरा हो, उसके प्रति भी रहम 
की भावना हो तो कभी घृणा, ईर्ष्या वा क्रोध की भावना नहीं आयेगी। रहम की भावना 
सहज निमित्त भाव इमर्ज कर देती है, लगाव से रहम नहीं लेकिन सच्चा रहम लगाव 
मुक्त बना देता है क्योंकि उसमें देह भान नहीं होता। 

स्लोगन:- दूसरों को सहयोग देना ही स्वयं के खाते जमा करना है।