Monday, February 10, 2014

Murli-[10-2-2014]-Hindi

`मीठे बच्चे-टीचर विदेही है इसलिए याद की मेहनत करनी है, याद करते-करते जब 
इम्तहान पूरा होगा तब घर चले जायेंगे'' 

प्रश्न:- बच्चों को याद में रहने की मेहनत करनी है, किस धोखे में कभी भी नहीं आना है? 
उत्तर:- आत्मा का साक्षात्कार हुआ, झिलमिल देखी-इससे कोई फायदा नहीं, ऐसे नहीं 
कि साक्षात्कार से या बाबा की दृष्टि पड़ने से कोई पाप कट जायेंगे या मुक्ति मिल जायेगी। 
नहीं। यह तो और ही धोखे में रह जायेंगे। याद की मेहनत करो, मेहनत से ही कर्मातीत 
अवस्था होगी। ऐसे नहीं बाबा दृष्टि देंगे तो तुम पावन बन जायेंगे। मेहनत करनी है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) स्वदर्शन चक्र को धारण कर अपने पापों को भस्म करना है। सम्भाल करो - कर्मेन्द्रियों 
से कोई भी पाप कर्म न हो। कर्मातीत बनने की स्वयं मेहनत करो। 

2) साक्षात्कार की आश नहीं रखनी है, साक्षात्कार करने से मुक्ति नहीं मिलती, पाप नहीं 
कटते, साक्षात्कार से फायदा नहीं है। जंक निकलेगी बाप और नॉलेज को याद करने से। 

वरदान:- सदा रूहानी स्थिति में रह दूसरों की भी रूह को देखने वाले रूहानी रूहे गुलाब भव 

रूहे गुलाब अर्थात् जिसमें सदा रूहानी खुशबू हो। रूहानी खुशबू वाले जहाँ भी देखेंगे, जिसको 
भी देखेंगे तो रूह को देखेंगे, शरीर को नहीं। तो स्वयं भी सदा रूहानी स्थिति में रहो और दूसरों 
की भी रूह को देखो। जैसे बाप ऊंचे से ऊंचा है, ऐसे उसका बगीचा भी ऊंचे से ऊंचा है, जिस 
बगीचे का विशेष श्रृंगार रूहे गुलाब आप बच्चे हो। आपकी रूहानी खुशबू अनेक आत्माओं 
का कल्याण करने वाली है। 

स्लोगन:- मर्यादा तोड़कर किसी को सुख दिया तो वह भी दु:ख के खाते में जमा हो जायेगा।