Thursday, February 13, 2014

Murli-[13-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - अन्तर्मुखी हो अपने कल्याण का ख्याल करो, घूमने-फिरने जाते हो तो एकान्त में 
विचार सागर मंथन करो, अपने से पूछो-हम सदा हर्षित रहते हैं'' 

प्रश्न:- रहमदिल बाप के बच्चों को अपने पर कौन-सा रहम करना चाहिए? 
उत्तर:- जैसे बाप को रहम पड़ता है कि मेरे बच्चे कांटे से फूल बनें, बाप बच्चों को गुल-गुल बनाने 
की कितनी मेहनत करते हैं तो बच्चों को भी अपने ऊपर तरस आना चाहिए कि हम बाबा को 
बुलाते हैं-हे पतित-पावन आओ, फूल बनाओ, अब वह आये हैं तो क्या हम फूल नहीं बनेंगे! 
रहम पड़े तो देही-अभिमानी रहें। बाप जो सुनाते हैं उसको धारण करें। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सदा स्मृति में रखना है कि हम बेहद बाप के स्टूडेन्ट हैं, भगवान् हमें पढ़ाते हैं, इसलिए अच्छी 
तरह पढ़कर बाप का नाम बाला करना है। अपनी चलन बड़ी रॉयल रखनी है। 

2) बाप समान रहमदिल बन कांटे से फूल बनना और दूसरों को फूल बनाना है। अन्तर्मुखी बन 
अपने वा दूसरों के कल्याण का चिन्तन करना है। 

वरदान:- अच्छाई पर प्रभावित होने के बजाए उसे स्वयं में धारण करने वाले परमात्म स्नेही भव 

अगर परमात्म स्नेही बनना है तो बॉडीकानसेस की रूकावटों को चेक करो। कई बच्चे कहते हैं यह 
बहुत अच्छा या अच्छी है इसलिए थोड़ा रहम आता है...कोई का किसी के शरीर से लगाव होता तो 
कोई का किसी के गुणों वा विशेषताओं से। लेकिन वह विशेषता वा गुण देने वाला कौन? कोई 
अच्छा है तो अच्छाई को धारण भले करो लेकिन अच्छाई में प्रभावित नहीं हो जाओ। न्यारे और 
बाप के प्यारे बनो। ऐसे प्यारे अर्थात् परमात्म स्नेही बच्चे सदा सेफ रहते हैं। 

स्लोगन:- साइलेन्स की शक्ति इमर्ज करो तो सेवा की गति फास्ट हो जायेगी।