Friday, February 28, 2014

Murli-[27-2-2014]-Hindi

मीठे बच्चे - अब तक जो कुछ पढ़ा है वह सब भूल जाओ, एकदम बचपन में चले जाओ 
तब इस रूहानी पढ़ाई में पास हो सकेंगे'' 

प्रश्न:- जिन बच्चों को दिव्य बुद्धि मिली है, उनकी निशानी क्या होगी? 
उत्तर:- वे बच्चे इस पुरानी दुनिया को इन ऑखों से देखते हुए भी नहीं देखेंगे। उनकी बुद्धि 
में सदा रहता है कि यह पुरानी दुनिया ख़त्म हुई कि हुई। यह शरीर भी पुराना तमोप्रधान है 
तो आत्मा भी तमोप्रधान है, इनसे क्या प्रीत करें। ऐसे दिव्य बुद्धि वाले बच्चों से ही बाप की 
भी दिल लगती है। ऐसे बच्चे ही बाप की याद में निरन्तर रह सकते हैं। सेवा में भी आगे 
जा सकते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) रूहानी पढ़ाई में सदा बिजी रहना है। कभी भी नॉवेल्स आदि पढ़ने की गंदी आदत नहीं 
डालनी है, अब तक जो कुछ पढ़ा है उसे भूल बाप को याद करना है। 

2) इस पुरानी दुनिया में स्वयं को मेहमान समझकर रहना है। इससे प्रीत नहीं रखनी है, 
देखते भी नहीं देखना है। 

वरदान:- शुभ भावना, शुभ कामना के सहयोग से आत्माओं को परिवर्तन करने वाले सफलता सम्पन्न भव 

जब किसी भी कार्य में सर्व ब्राह्मण बच्चे संगठित रूप में अपने मन की शुभ भावनाओं और शुभ 
कामनाओं का सहयोग देते हैं - तो इस सहयोग से वायुमण्डल का किला बन जाता है जो आत्माओं 
को परिवर्तन कर लेता है। जैसे पांच अंगुलियों के सहयोग से कितना भी बड़ा कार्य सहज हो जाता है, 
ऐसे हर एक ब्राह्मण बच्चे का सहयोग सेवाओं में सफलता सम्पन्न बना देता है। सहयोग की 
रिजल्ट सफलता है। 

स्लोगन:- कदम-कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाला ही सबसे बड़ा धनवान है।