मीठे बच्चे - `स्वदर्शन चक्रधारी भव' - तुम्हें लाइट हाउस बनना है, अपने को आत्मा समझो,
प्रश्न:- तुम सबसे वण्डरफुल स्टूडेण्ट हो - कैसे?
उत्तर:- तुम रहते गृहस्थ व्यवहार में हो, शरीर निर्वाह के लिए 8 घण्टा कर्म भी करते हो, साथ-साथ
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) खुशी से भरपूर रहने के लिए एकान्त में बैठ मिले हुए ज्ञान धन का सिमरण करना है। पावन वा
2) बाप समान मास्टर ज्ञान सागर बन सबको स्वदर्शन चक्रधारी बनाना है। लाइट हाउस बनना है।
वरदान:- सेवा-भाव से सेवा करते हुए आगे बढ़ने और बढ़ाने वाले निर्विघ्न सेवाधारी भव
सेवा-भाव सफलता दिलाता है, सेवा में अगर अहम् भाव आ गया तो उसको सेवा-भाव नहीं कहेंगे। किसी
स्लोगन:- ज्ञानी तू आत्मा वह है जो महीन और आकर्षण करने वाले धागों से भी मुक्त है।
इसमें गफ़लत नहीं करो''
प्रश्न:- तुम सबसे वण्डरफुल स्टूडेण्ट हो - कैसे?
उत्तर:- तुम रहते गृहस्थ व्यवहार में हो, शरीर निर्वाह के लिए 8 घण्टा कर्म भी करते हो, साथ-साथ
भविष्य 21 जन्मों के लिए भी 8 घण्टा बाप समान बनाने की सेवा करते हो, सब-कुछ करते बाप
और घर को याद करते हो-यही तुम्हारी वन्डरफुल स्टूडेण्ट लाइफ है। नॉलेज बहुत सहज है, सिर्फ
पावन बनने की मेहनत करते हो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) खुशी से भरपूर रहने के लिए एकान्त में बैठ मिले हुए ज्ञान धन का सिमरण करना है। पावन वा
सदा निरोगी बनने के लिए याद में रहने की मेहनत करनी है।
2) बाप समान मास्टर ज्ञान सागर बन सबको स्वदर्शन चक्रधारी बनाना है। लाइट हाउस बनना है।
भविष्य 21 जन्म के शरीर निर्वाह के लिए रूहानी टीचर जरूर बनना है।
वरदान:- सेवा-भाव से सेवा करते हुए आगे बढ़ने और बढ़ाने वाले निर्विघ्न सेवाधारी भव
सेवा-भाव सफलता दिलाता है, सेवा में अगर अहम् भाव आ गया तो उसको सेवा-भाव नहीं कहेंगे। किसी
भी सेवा में अगर अहम्-भाव मिक्स होता है तो मेहनत भी ज्यादा, समय भी ज्यादा लगता और स्वयं की
सन्तुष्टी भी नहीं होती। सेवा-भाव वाले बच्चे स्वयं भी आगे बढ़ते और दूसरों को भी आगे बढ़ाते हैं। वे सदा
उड़ती कला का अनुभव करते हैं। उनका उमंग-उत्साह स्वयं को निर्विघ्न बनाता और दूसरों का कल्याण
करता है।
स्लोगन:- ज्ञानी तू आत्मा वह है जो महीन और आकर्षण करने वाले धागों से भी मुक्त है।