मुरली सार:- "मीठे बच्चे - सर्व पर ब्लैसिंग करने वाला ब्लिसफुल एक बाप है, बाप को ही दु:ख हर्ता,
प्रश्न:- भक्ति मार्ग और ज्ञान मार्ग दोनों में एडाप्ट होने की रस्म है लेकिन अन्तर क्या है?
उत्तर:- भक्ति मार्ग में जब किसी के पास एडाप्ट होते हैं तो गुरू और चेले का सम्बन्ध रहता है,
गीत:- ओम नमो शिवाए ........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) यह पढ़ाई हीरे जैसा बनाती है इसलिए इसे अच्छी तरह पढ़ना है और सब संग तोड़ एक
2) श्रीमत पर चलकर स्वर्ग का पूरा वर्सा लेना है। चलते-फिरते स्वदर्शन चक्र फिराते रहना है।
वरदान:- संस्कार मिटाने और मिलाने में एवररेडी रहने वाले रूहानी सेवाधारी भव
जैसे स्थूल सेवा में सदा एवररेडी रहते हो, जहाँ बुलावा होता है वहाँ पहुंच जाते हो। ऐसे मन्सा से
स्लोगन:- प्योरिटी की रॉयल्टी का अनुभव करना और कराना ही रॉयल आत्मा की निशानी है।
सुख कर्ता कहा जाता है, उनके सिवाए कोई भी दु:ख नहीं हर सकता''
प्रश्न:- भक्ति मार्ग और ज्ञान मार्ग दोनों में एडाप्ट होने की रस्म है लेकिन अन्तर क्या है?
उत्तर:- भक्ति मार्ग में जब किसी के पास एडाप्ट होते हैं तो गुरू और चेले का सम्बन्ध रहता है,
सन्यासी भी एडाप्ट होंगे तो अपने को फालोअर कहलायेंगे, लेकिन ज्ञान मार्ग में तुम फालोअर या
चेले नहीं हो। तुम बाप के बच्चे बने हो। बच्चा बनना अर्थात् वर्से का अधिकारी बनना।
गीत:- ओम नमो शिवाए ........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) यह पढ़ाई हीरे जैसा बनाती है इसलिए इसे अच्छी तरह पढ़ना है और सब संग तोड़ एक
बाप संग जोड़ना है।
2) श्रीमत पर चलकर स्वर्ग का पूरा वर्सा लेना है। चलते-फिरते स्वदर्शन चक्र फिराते रहना है।
वरदान:- संस्कार मिटाने और मिलाने में एवररेडी रहने वाले रूहानी सेवाधारी भव
जैसे स्थूल सेवा में सदा एवररेडी रहते हो, जहाँ बुलावा होता है वहाँ पहुंच जाते हो। ऐसे मन्सा से
भी जो संकल्प धारण करने चाहो उसमें भी एवररेडी रहो। जो सोचो उसी समय वह करो। रूहानी
सेवाधारी बच्चे रूहानी संबंध और सम्पर्प निभाने में एवररेडी। उन्हें संस्कार मिटाने वा संस्कार
मिलाने में टाइम नहीं लगता। जैसे बाप के संस्कार वैसे आप के भी संस्कार हो। यह संस्कार
मिलाना बड़े से बड़ी रास है।
स्लोगन:- प्योरिटी की रॉयल्टी का अनुभव करना और कराना ही रॉयल आत्मा की निशानी है।