Thursday, November 7, 2013

Murli-[7-11-2013]- Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - तुम ब्रह्मा की सन्तान आपस में भाई-बहन हो, 
तुम्हारी वृत्ति बहुत शुद्ध पवित्र होनी चाहिए'' 

प्रश्न:- किन बच्चों के समझाने का प्रभाव बहुत अच्छा पड़ सकता है? 
उत्तर:- जो गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र रहते हैं। ऐसे 
अनुभवी बच्चे किसी को भी समझायें तो उनके समझाने का बहुत अच्छा 
प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि शादी करके भी अपवित्र वृत्ति न जाये - यह 
बहुत बड़ी मंज़िल है। इसमें बच्चों को बहुत-बहुत खबरदार भी रहना है। 

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं....... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) हम आत्मा भाई-भाई हैं, इस निश्चय से पवित्रता के व्रत को पालन करते 
हुए आपस में बहुत प्यार से रहना है। सबको लवली बनाना है। 

2) विशाल बुद्धि बन ज्ञान के गुह्य रहस्यों को समझना है, विचार सागर मंथन 
करना है। माया के वार से बचने के लिए देही-अभिमानी हो रहने का अभ्यास करना है। 

वरदान:- हर आत्मा से आत्मिक अटूट प्यार रख स्नेह सम्पन्न व्यवहार करने 
वाले सफलतामूर्त भव

जैसे बाप के प्रति अटूट, अखण्ड, अटल प्यार है, श्रेष्ठ भावना है, निश्चय है ऐसे ब्राह्मण 
आत्माओं से आत्मिक प्यार अटूट और अखण्ड हो। किसी के कैसे भी संस्कार हो, चलन 
हो लेकिन ब्राह्मण आत्माओं का सारे कल्प में अटूट संबंध है, ईश्वरीय परिवार है, बाप ने हर 
आत्मा को चुनकर ईश्वरीय परिवार में लाया है, यह स्मृति रहे तो आत्मिक प्यार अटूट 
होने से स्नेह सम्पन्न व्यवहार होगा और सहज सफलतामूर्त बन जायेंगे। 

स्लोगन:- अन्तर्मुखी वह है जो जिस समय चाहे आवाज में आये और जिस समय 
चाहे आवाज से परे हो जाए।