Saturday, November 30, 2013

Murli-[30-11-2013]- Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - सर्विस की वृद्धि के नये-नये तरीके निकालो, गांव-गांव में जाकर 
सर्विस करो, सर्विस करने के लिए ज्ञान की पराकाष्ठा चाहिए'' 

प्रश्न:- बुद्धि से पुरानी दुनिया भूलती जाए - इसकी सहज युक्ति क्या है? 
उत्तर:- घर को घड़ी-घड़ी याद करो। बुद्धि में रहे - अब मृत्युलोक से हिसाब-किताब चुक्तु कर 
अमरलोक जाना है। देह से भी बेगर, यह देह भी अपनी नहीं - ऐसा अभ्यास हो तो पुरानी 
दुनिया भूल जायेगी। इस पुरानी दुनिया में रहते अपनी परिपक्व अवस्था बनानी है। एकरस 
अवस्था के लिए मेहनत करनी है। 

गीत:- माता ओ माता........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) देह-अभिमान छोड़ सर्विस करनी है। विचार सागर मंथन कर बेहद की सर्विस का सबूत देना है। 

2) इस मृत्युलोक से पुराने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं। पुरानी देह और पुरानी दुनिया 
को बुद्धि से भूलते जाना है। 

वरदान:- अपनी उदारता द्वारा सर्व को अपने पन का अनुभव कराने वाले बाप समान सर्वंश त्यागी भव 

सर्व-वंश त्यागी वह है जिसका संकल्प, स्वभाव, संस्कार, नेचर बाप समान है। जो बाप का 
स्वभाव वही आपका हो, संस्कार सदा बाप समान स्नेह, रहम और उदारता के हों, जिसे ही 
बड़ी दिल कहते हैं। बड़ी दिल अर्थात् सर्व अपनापन अनुभव हो। बड़ी दिल में तन, मन, धन, 
संबंध में सफलता की बरक्कत होती है। छोटी दिल वाले को मेहनत ज्यादा, सफलता कम 
होती है। बड़ी दिल, उदार दिल वाले ही बाप समान बनते हैं, उन पर साहेब राज़ी रहता है। 

स्लोगन:- परिपक्व बनने के लिए परीक्षाओं को गुड-साइन समझ हर्षित रहो।