Thursday, November 21, 2013

Murli-[18-11-2013]- Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - मनुष्य को देवता बनाने की सर्विस का तुम्हें बहुत-बहुत शौक 
होना चाहिए लेकिन इस सर्विस के लिए स्वयं में हड्डी धारणा चाहिए'' 

प्रश्न:- आत्मा मैली कैसे बनती है? आत्मा पर कौन सी मैल चढ़ती है? 
उत्तर:- मित्र-सम्बन्धियों की याद से आत्मा मैली बन जाती है। पहले नम्बर का किचड़ा है 
देह-अभिमान का, फिर लोभ मोह का किचड़ा शुरू होता है, यह विकारों की मैल आत्मा 
पर चढ़ती है। फिर बाप की याद भूल जाती है, सर्विस नहीं कर सकते हैं। 

गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है....... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) मीठे बाप से पूरा योग लगाकर अति मीठा और देही-अभिमानी बनना है। विचार 
सागर मंथन कर पहले स्वयं धारणा करनी है फिर दूसरों को समझाना है। 

2) अपनी अवस्था मजबूत बनानी है। निडर बनना है। मनुष्य को देवता बनाने की 
सर्विस का शौक रखना है। 

वरदान:- "पहले आप'' के विशेष गुण द्वारा सर्व के प्रिय बनने वाले सफल मूर्त भव
 
एक दो को आगे बढ़ाने का गुण अर्थात् "पहले आप'' का गुण परमार्थ और व्यवहार 
दोनों में ही सर्व का प्रिय बना देता है। बाप का भी यही मुख्य गुण है। बाप कहते हैं 
बच्चे "पहले आप''। तो इसी गुण में फालो फादर करो, यही सफलता प्राप्त करने की 
विधि है। जो बाप के प्रिय, ब्राह्मण परिवार के प्रिय और विश्व सेवा के प्रिय हैं वही 
एवररेडी हैं। 

स्लोगन:- मनन शक्ति के आधार से ज्ञान खजाने को अपना बना लो तो विघ्न विदाई ले लेंगे।