मुरली सार:- "मीठे बच्चे - एवरहेल्दी-एवरवेल्दी बनने के लिए तुम अभी डायरेक्ट अपना
तन-मन-धन इन्श्योर करो, इस समय ही यह बेहद का इन्श्योरेन्स होता है''
प्रश्न:- आपस में एक-दूसरे को कौन-सी स्मृति दिलाते उन्नति को पाना है?
उत्तर:- एक-दूसरे को स्मृति दिलाओ कि अब नाटक पूरा हुआ, वापस घर चलना है। अनेक
बार यह पार्ट बजाया, 84 जन्म पूरे किये, अब शरीर रूपी वस्त्र उतार घर चलेंगे। यही है
तुम रूहानी सोशल वर्कर की सेवा। तुम रूहानी सोशल वर्कर सबको यही सन्देश देते रहो
कि देह सहित देह के सब सम्बन्धों को भूल बाप और घर को याद करो।
गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन.........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रूहानी सोशल वर्कर बन सबको रूहानी यात्रा सिखानी है। अपने देवी-देवता धर्म की सैपलिंग लगानी है।
2) अपनी रिफाइन बुद्धि से बाप का शो करना है। पहले स्वयं में धारणा कर फिर दूसरों को सुनाना है।
वरदान:- एक शमा के पीछे परवाने बन फिदा होने वाले कोटों में कोई श्रेष्ठ आत्मा भव
सारे विश्व के अन्दर हम कोटों में कोई, कोई में भी कोई श्रेष्ठ आत्मायें हैं, जिन्होंने स्वयं अनुभव
करके यह महसूस किया है, कि हम कल्प पहले वाली वही श्रेष्ठ आत्मायें हैं, जिन्होंने स्वयं को
बाप शमा के पीछे फिदा किया है। वे चक्र लगाने वाले नहीं, परवाने बन फिदा होने वाले हैं।
फिदा होना अर्थात् मर जाना। तो ऐसे जल मरने वाले परवाने हो ना! जलना ही बाप का
बनना है, जलना अर्थात् सम्पूर्ण परिवर्तन होना।
स्लोगन:- बाबा के मिलन की और सर्व प्राप्तियों की मौज में रहना ही संगमयुग की विशेषता है।
प्रश्न:- आपस में एक-दूसरे को कौन-सी स्मृति दिलाते उन्नति को पाना है?
उत्तर:- एक-दूसरे को स्मृति दिलाओ कि अब नाटक पूरा हुआ, वापस घर चलना है। अनेक
गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन.........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रूहानी सोशल वर्कर बन सबको रूहानी यात्रा सिखानी है। अपने देवी-देवता धर्म की सैपलिंग लगानी है।
2) अपनी रिफाइन बुद्धि से बाप का शो करना है। पहले स्वयं में धारणा कर फिर दूसरों को सुनाना है।
वरदान:- एक शमा के पीछे परवाने बन फिदा होने वाले कोटों में कोई श्रेष्ठ आत्मा भव
सारे विश्व के अन्दर हम कोटों में कोई, कोई में भी कोई श्रेष्ठ आत्मायें हैं, जिन्होंने स्वयं अनुभव
स्लोगन:- बाबा के मिलन की और सर्व प्राप्तियों की मौज में रहना ही संगमयुग की विशेषता है।