मुरली सार:- "मीठे बच्चे - तुम्हारी सच्ची बात का तीर तब लगेगा जब दिल में सच्चाई सफाई होगी,
प्रश्न:- तुम सब स्टूडेन्ट हो, तुम्हें किस बात का ख्याल रखना जरूरी है?
उत्तर:- कभी भी कोई ग़लती हो तो सच बोलना है, सच बोलने से ही उन्नति होगी। तुम्हें अपनी सेवा
गीत:- किसने यह सब खेल रचाया........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) प्यार के सागर बाप के प्यार का रिटर्न करना है, अच्छी तरह पढ़कर फिर पढ़ाना है।
2) सच्चाई और सफाई से पहले स्वयं में धारणा कर फिर दूसरों को धारणा करानी है।
वरदान:- मन्सा-वाचा और कर्मणा तीनों सेवाओं के खाते जमा करने वाले यज्ञ स्नेही भव
बापदादा के पास सभी बच्चों की सेवा के तीन प्रकार के खाते जमा हैं। जो यज्ञ स्नेही हैं वह
स्लोगन:- अपने ऊपर राज्य करने वाले स्वराज्य अधिकारी बनो, साथियों पर राज्य करने वाले नहीं।
तुम्हें सत्य बाप का संग मिला है इसलिए सच्चे बनो''
प्रश्न:- तुम सब स्टूडेन्ट हो, तुम्हें किस बात का ख्याल रखना जरूरी है?
उत्तर:- कभी भी कोई ग़लती हो तो सच बोलना है, सच बोलने से ही उन्नति होगी। तुम्हें अपनी सेवा
दूसरों से नहीं लेनी है। अगर यहाँ सेवा लेंगे तो वहाँ करनी पड़ेगी। तुम स्टूडेन्ट अच्छी तरह से पढ़कर
दूसरों को पढ़ाओ तो बाप भी खुश होगा। बाप प्यार का सागर है, उनका प्यार ही यह है जो तुम बच्चों
को पढ़ाकर ऊंच मर्तबा दिलाते हैं।
गीत:- किसने यह सब खेल रचाया........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) प्यार के सागर बाप के प्यार का रिटर्न करना है, अच्छी तरह पढ़कर फिर पढ़ाना है।
श्रीमत पर चलना है।
2) सच्चाई और सफाई से पहले स्वयं में धारणा कर फिर दूसरों को धारणा करानी है।
एक बाप के संग में रहना है।
वरदान:- मन्सा-वाचा और कर्मणा तीनों सेवाओं के खाते जमा करने वाले यज्ञ स्नेही भव
बापदादा के पास सभी बच्चों की सेवा के तीन प्रकार के खाते जमा हैं। जो यज्ञ स्नेही हैं वह
मन्सा-वाचा-कर्मणा, तन मन और धन तीनों सेवा में सदा सहयोगी बनते हैं। हर खाते की
100 मार्क्स हैं। अगर किसी की वाचा सेवा की ड्युटी है तो उसमें मन्सा और कर्मणा की
परसेन्टेज कम न हो। वाचा सेवा सहज है लेकिन मन्सा में अटेन्शन देने की बात है और
कर्मणा सिर्फ स्थूल सेवा नहीं लेकिन संगठन में सम्पर्क-सम्बन्ध में आना - यह भी कर्म
के खाते में जमा होता है।
स्लोगन:- अपने ऊपर राज्य करने वाले स्वराज्य अधिकारी बनो, साथियों पर राज्य करने वाले नहीं।