Saturday, November 9, 2013

Murli-[9-11-2013]- Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - याद रूपी दवाई से स्वयं को एवर निरोगी बनाओ, याद 
और स्वदर्शन चक्र फिराने की आदत डालो तो विकर्माजीत बन जायेंगे" 

प्रश्न:- जिन बच्चों को अपनी उन्नति का सदा ख्याल रहता है, उनकी निशानी क्या होगी? 
उत्तर:- उनकी हर एक्ट सदा श्रीमत के आधार पर होगी। बाप की श्रीमत है - बच्चे, 
देह-अभिमान में न आओ, याद की यात्रा का चार्ट रखो। अपने हिसाब-किताब का 
पोतामेल रखो। चेक करो - कितना समय हम बाबा की याद में रहे, कितना समय 
किसको समझाया? 

गीत:- तू प्यार का सागर है........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) श्रीमत पर पूरा अटेन्शन देकर अपना और दूसरों का कल्याण करना है। सबको सच्ची 
यात्रा करानी है, रहमदिल बनना है। 

2) बाप के हर फ़रमान को पालन करना है। याद वा सेवा का चार्ट जरूर रखना है। 
स्वदर्शन चक्र फिराना है। 

वरदान:- स्वयं को बदलने की भावना द्वारा सभी बातों में विजय प्राप्त करने वाले 
सफलता स्वरूप भव 

सेवा के क्षेत्र में हर एक के साथ मिलकर चलने का लक्ष्य हो, स्वयं को बदलने की 
भावना हो तो सभी बातों में सहज विजयी बन सकते हो। दूसरा बदले - यह देखने 
वा सोचने वाले धोखा खा लेते हैं इसलिए मुझे बदलना है, मुझे करना है, पहले हर 
बात में स्वयं को आगे करो। अभिमान में नहीं, करने में आगे करो तो सफलता ही 
सफलता है। जो मोल्ड होना जानते हैं वह रीयल गोल्ड बन जाते हैं। 

स्लोगन:- जैसे नयनों में नूर समाया हुआ है वैसे बुद्धि में शिव पिता की याद समाई हुई हो।