10-11-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:21-05-77 मधुबऩ
संगमयुगी ब्राह्मण जीवन का विशेष गुण और कर्तव्य
10-11-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:24-05-77 मधुबन
बाप के डायरेक्ट बच्चे ही डबल पूजा के अधिकारी बनते हैं
वरदान:- एक बल एक भरोसे के आधार से सफलता प्राप्त करने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
जो सच्ची लगन वाले बच्चे एक बल एक भरोसे के आधार से चलते हैं उन्हें सदा सफलता मिलती
स्लोगन:- नयनों में पवित्रता की झलक हो और मुख पर पवित्रता की मुस्कराहट हो - यही श्रेष्ठ पर्सनैलिटी है।
संगमयुगी ब्राह्मण जीवन का विशेष गुण और कर्तव्य
10-11-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:24-05-77 मधुबन
बाप के डायरेक्ट बच्चे ही डबल पूजा के अधिकारी बनते हैं
वरदान:- एक बल एक भरोसे के आधार से सफलता प्राप्त करने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
जो सच्ची लगन वाले बच्चे एक बल एक भरोसे के आधार से चलते हैं उन्हें सदा सफलता मिलती
रही है और मिलती रहेगी क्योंकि सच्ची लगन विघ्नों को सहज ही समाप्त कर देती है। जहाँ
सर्वशक्तिमान बाप का साथ है, उस पर पूरा भरोसा है वहाँ छोटी-छोटी बातें ऐसे समाप्त हो जाती
हैं जैसे कुछ थी ही नहीं। असम्भव भी सम्भव हो जाता है। मक्खन से बाल समान सब बातें सिद्ध
हो जाती हैं। तो ऐसे अपने को मास्टर सर्वशक्तिमान समझ सफलता स्वरूप बनते चलो।
स्लोगन:- नयनों में पवित्रता की झलक हो और मुख पर पवित्रता की मुस्कराहट हो - यही श्रेष्ठ पर्सनैलिटी है।