Friday, November 1, 2013

Murli-[1-11-2013]- Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - ज्ञान की बुलबुल बन सारा दिन ज्ञान की टिकलू-टिकलू करते रहो तो 
लौकिक और पारलौकिक मात-पिता का शो कर सकेंगे'' 

प्रश्न:- कहावत है - "अपनी घोट तो नशा चढ़े'' इसका भावार्थ क्या है? 
उत्तर:- अपनी घोटना अर्थात् बुद्धियोग इधर-उधर न भटकाकर एक बाप को याद करना। एक बाप 
बुद्धि में याद रहे तो नशा चढ़े। परन्तु इसमें देह-अभिमान बहुत विघ्न डालता है। थोड़ी-सी बीमारी 
हुई तो परेशान हो जाते हैं, मित्र-सम्बन्धी याद पड़ते हैं, इसलिए नशा नहीं चढ़ता। योग में रहें तो 
दर्द भी कम हो जाए। 

गीत:- तूने रात गंवाई सोवे...... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) स्वंय को माया घोस्ट से बचाने के लिए ज्ञान-योग में तत्पर रहना है। मोह रूपी भूत का त्याग 
कर बाप का शो करना है। ज्ञान की टिकलू-टिकलू करनी है। 

2) पढ़ाई पर पूरा ध्यान देकर बाप से वर्सा लेना है। कल्प-कल्प की इस बाजी को किसी भी हालत में 
गंवाना नहीं है। 

वरदान:- शुभ संकल्प के यन्त्र द्वारा साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करने वाले सिद्धि स्वरूप भव 

साइलेन्स की शक्ति का विशेष यन्त्र है "शुभ संकल्प''। इस संकल्प के यन्त्र द्वारा जो चाहो वह सिद्धि 
स्वरूप में देख सकते हो, इसका प्रयोग पहले स्व के प्रति करो। तन की व्याधि के ऊपर प्रयोग करके 
देखो तो शान्ति की शक्ति द्वारा कर्मबंधन का रूप, मीठे संबंध के रूप में बदल जायेगा। कर्मभोग - 
कर्म का कड़ा बंधन साइलेन्स की शक्ति से पानी की लकीर मिसल अनुभव होगा। तो तन पर, मन 
पर, संस्कारों पर साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करो और सिद्धि स्वरूप बनो। 

स्लोगन:- कुल दीपक बन अपने स्मृति की ज्योति से ब्राह्मण कुल का नाम रोशन करो।