मुरली सार:- "मीठे बच्चे - देह-अभिमान में आने से ही माया की चमाट लगती है, देही-अभिमानी
प्रश्न:- बाप के पास दो प्रकार के पुरुषार्थी बच्चे हैं, वह कौन से?
उत्तर:- एक बच्चे हैं जो बाप से वर्सा लेने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करते हैं, हर क़दम पर बाप की राय
गीत:- महफिल में जल उठी शमा........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप समान सबको दु:खों से लिबरेट करने का रहम करना है। सुख का रास्ता बताना है।
2) कोई भी विनाशकारी (उल्टा) कर्तव्य नहीं करना है। श्रीमत पर 21 जन्मों के लिए अपनी प्रालब्ध
वरदान:- हर गुण वा शक्ति को अपना स्वरूप बनाने वाले बाप समान सम्पन्न भव
जो बच्चे बाप समान सम्पन्न बनने वाले हैं वह सदा याद स्वरूप, सर्वगुण और सर्व शक्तियों स्वरूप
स्लोगन:- "बाबा'' शब्द ही सर्व खजानों की चाबी है, इसे सदा सम्भालकर रखो।
रहो तो बाप की हर श्रीमत का पालन कर सकेंगे''
प्रश्न:- बाप के पास दो प्रकार के पुरुषार्थी बच्चे हैं, वह कौन से?
उत्तर:- एक बच्चे हैं जो बाप से वर्सा लेने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करते हैं, हर क़दम पर बाप की राय
लेते हैं। दूसरे फिर ऐसे भी बच्चे हैं जो बाप को फ़ारकती देने का पुरुषार्थ करते हैं। कोई हैं जो दु:ख
से छूटने के लिए बाप को बहुत-बहुत याद करते हैं, कोई फिर दु:ख में फँसना चाहते हैं, यह भी
वन्डर है ना।
गीत:- महफिल में जल उठी शमा........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप समान सबको दु:खों से लिबरेट करने का रहम करना है। सुख का रास्ता बताना है।
2) कोई भी विनाशकारी (उल्टा) कर्तव्य नहीं करना है। श्रीमत पर 21 जन्मों के लिए अपनी प्रालब्ध
बनानी है। क़दम-क़दम पर सावधानी से चलना है।
वरदान:- हर गुण वा शक्ति को अपना स्वरूप बनाने वाले बाप समान सम्पन्न भव
जो बच्चे बाप समान सम्पन्न बनने वाले हैं वह सदा याद स्वरूप, सर्वगुण और सर्व शक्तियों स्वरूप
रहते हैं। स्वरूप का अर्थ है अपना रूप ही वह बन जाए। गुण वा शक्ति अलग नहीं हो, लेकिन रूप में
समाये हुए हों। जैसे कमजोर संस्कार या कोई अवगुण बहुतकाल से स्वरूप बन गये हैं, उसको
धारण करने की मेहनत नहीं करते। ऐसे हर गुण हर शक्ति निजी स्वरूप बन जाए, याद करने की
भी मेहनत नहीं करनी पड़े लेकिन याद में समाये रहें तब कहेंगे बाप समान।
स्लोगन:- "बाबा'' शब्द ही सर्व खजानों की चाबी है, इसे सदा सम्भालकर रखो।