मुरली सार:- "मीठे बच्चे - सेकेण्ड में मुक्ति और जीवनमुक्ति प्राप्त करने के लिए मनमनाभव,
प्रश्न:- किस नशे के आधार पर ही तुम बाप का शो कर सकते हो?
उत्तर:- नशा हो कि हम अभी भगवान् के बच्चे बने हैं, वह हमें पढ़ा रहे हैं। हमें ही सब
गीत:- आने वाले कल की तुम तकदीर हो.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि से बेहद का सन्यास कर, रूहानी यात्रा पर तत्पर रहना है। याद में रहने की आदत डालनी है।
2) फादर शोज़ सन, सन शोज़ फादर सभी को बाप का सत्य परिचय देना है। सेकेण्ड में
वरदान:- सदा यथार्थ श्रेष्ठ कर्म द्वारा सफलता का फल प्राप्त करने वाले ज्ञानी, योगी तू आत्मा भव
जो ज्ञानी और योगी तू आत्मा हैं उनके हर कर्म स्वत: युक्तियुक्त होते हैं। युक्तियुक्त अर्थात् सदा
स्लोगन:- जिनकी दिल बड़ी है उनके भण्डारे सदा भरपूर रहते हैं।
मध्याजी भव। बाप को यथार्थ पहचान कर याद करो और सबको बाप का परिचय दो''
प्रश्न:- किस नशे के आधार पर ही तुम बाप का शो कर सकते हो?
उत्तर:- नशा हो कि हम अभी भगवान् के बच्चे बने हैं, वह हमें पढ़ा रहे हैं। हमें ही सब
मनुष्य मात्र को सच्चा रास्ता बताना है। हम अभी संगमयुग पर हैं। हमें अपनी रॉयल
चलन से बाप का नाम बाला करना है। बाप और श्रीकृष्ण की महिमा सबको सुनानी है।
गीत:- आने वाले कल की तुम तकदीर हो.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि से बेहद का सन्यास कर, रूहानी यात्रा पर तत्पर रहना है। याद में रहने की आदत डालनी है।
2) फादर शोज़ सन, सन शोज़ फादर सभी को बाप का सत्य परिचय देना है। सेकेण्ड में
जीवन-मुक्ति का रास्ता बताना है।
वरदान:- सदा यथार्थ श्रेष्ठ कर्म द्वारा सफलता का फल प्राप्त करने वाले ज्ञानी, योगी तू आत्मा भव
जो ज्ञानी और योगी तू आत्मा हैं उनके हर कर्म स्वत: युक्तियुक्त होते हैं। युक्तियुक्त अर्थात् सदा
यथार्थ श्रेष्ठ कर्म। कोई भी कर्म रूपी बीज फल के सिवाए नहीं होता। जो युक्तियुक्त होगा वह जिस
समय जो संकल्प, वाणी या कर्म चाहे वह कर सकेगा। उनके संकल्प भी युक्तियुक्त होंगे। ऐसे नहीं
यह करना नहीं चाहता था, हो गया। सोचना नहीं चाहिए था, सोच लिया। राज़युक्त, योगयुक्त की
निशानी है ही युक्तियुक्त।
स्लोगन:- जिनकी दिल बड़ी है उनके भण्डारे सदा भरपूर रहते हैं।