Wednesday, November 13, 2013

Murli-[12-11-2013]- Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - देही-अभिमानी बनने में ही तुम्हारी सेफ्टी है, तुम श्रीमत पर रूहानी 
सर्विस में लग जाओ, तो देह-अभिमान रूपी दुश्मन वार नहीं करेगा'' 

प्रश्न:- विकर्मों का बोझ सिर पर है, उसकी निशानी क्या होगी? उसे हल्का करने की विधि सुनाओ? 
उत्तर:- जब तक विकर्मों का बोझ है तब तक ज्ञान की धारणा नहीं हो सकती। कर्म ऐसे किए हुए 
हैं जो बार-बार विघ्न डालते हैं, आगे बढ़ने नहीं देते हैं। इस बोझ से हल्का होने के लिए नींद को 
जीतने वाले निद्राजीत बनो। रात को जागकर बाबा को याद करो तो बोझ हल्का हो जायेगा। 

गीत:- माता ओ माता........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) श्रीमत पर रूहानी सर्विस करनी है। अन्धों की लाठी बनना है। शंखध्वनि जरूर करनी है। 

2) देही-अभिमानी बनने के लिए याद का चार्ट रखना है। रात को जागकर ख़ास याद करना है। 
याद में थकना नहीं है। 

वरदान:- अपने भरपूर स्टॉक द्वारा सबको शुभभावना-शुभ कामना की गिफ्ट देने वाले मास्टर 
भाग्य विधाता भव 

आप सब भाग्य की लकीर खींचने वाले ब्रह्मा के बच्चे हो इसलिए सदा गोल्डन गिफ्ट का स्टॉक 
भरपूर रहे। जब भी किसी से मिलते हो तो हर एक को शुभ भावना और शुभ कामना की गिफ्ट 
सदा देते रहो। विशेषता दो और विशेषता लो। गुण दो और गुण लो। ऐसी गाडॅली गिफ्ट सभी 
को देते रहो। चाहे कोई किसी भी भावना वा कामना से आये लेकिन आप यह गिफ्ट अवश्य 
दो तब कहेंगे मास्टर भाग्य विधाता। 

स्लोगन:- मेहनत के साथ महानता और रूहानियत का अनुभव करना ही श्रेष्ठता है।