मुरली सार:- "मीठे बच्चे - सावधान हो पढ़ाई पर पूरा ध्यान दो, ऐसे नहीं कि हमारा तो
प्रश्न:- भारत अविनाशी तीर्थ स्थान है - कैसे?
उत्तर:- भारत बाप का बर्थ प्लेस होने के कारण अविनाशी खण्ड है, इस अविनाशी खण्ड में
गीत:- रात के राही, थक मत जाना........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी से भी रूठकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है। देह-अभिमान छोड़ स्वयं पर रहम करना है।
2) अच्छे मैनर्स धारण करने हैं, सबको सुख देना है। आज्ञाकारी होकर रहना है।
वरदान:- नये ते नये, ऊंचे ते ऊचे संकल्प द्वारा नई दुनिया की झलक दिखाने वाले श्रेष्ठ आत्मा भव
नया दिन, नई रात तो सब कहते हैं लेकिन आप श्रेष्ठ आत्माओं का हर सेकण्ड, हर संकल्प
स्लोगन:- मायाजीत बनना है तो एक बाप को ही अपना कम्पैनियन बनाओ और उसी की कम्पनी में रहो।
डायरेक्ट शिवबाबा से कनेक्शन है, यह कहना भी देह-अभिमान है''
प्रश्न:- भारत अविनाशी तीर्थ स्थान है - कैसे?
उत्तर:- भारत बाप का बर्थ प्लेस होने के कारण अविनाशी खण्ड है, इस अविनाशी खण्ड में
सतयुग और त्रेतायुग में चैतन्य देवी-देवता राज्य करते हैं, उस समय के भारत को
शिवालय कहा जाता है। फिर भक्तिमार्ग में जड़ प्रतिमायें बनाकर पूजा करते, शिवालय
भी अनेक बनाते तो उस समय भी तीर्थ है इसलिए भारत को अविनाशी तीर्थ कह सकते हैं।
गीत:- रात के राही, थक मत जाना........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी से भी रूठकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है। देह-अभिमान छोड़ स्वयं पर रहम करना है।
बाप समान निरहंकारी बनना है।
2) अच्छे मैनर्स धारण करने हैं, सबको सुख देना है। आज्ञाकारी होकर रहना है।
वरदान:- नये ते नये, ऊंचे ते ऊचे संकल्प द्वारा नई दुनिया की झलक दिखाने वाले श्रेष्ठ आत्मा भव
नया दिन, नई रात तो सब कहते हैं लेकिन आप श्रेष्ठ आत्माओं का हर सेकण्ड, हर संकल्प
नये ते नया, ऊंचे ते ऊंचा, अच्छे ते अच्छा रहे तो चारों ओर से नई दुनिया की झलक देखने का
आवाज फैलेगा और नई दुनिया के आने की तैयारी में जुट जायेंगे। जैसे स्थापना के आदि में
स्वप्न और साक्षात्कार की लीला विशेष रही, ऐसे अन्त में भी यही लीला प्रत्यक्षता करने के
निमित्त बनेंगी।
स्लोगन:- मायाजीत बनना है तो एक बाप को ही अपना कम्पैनियन बनाओ और उसी की कम्पनी में रहो।