मुरली सार:- "मीठे बच्चे - भारत जो हीरे जैसा था, पतित बनने से कंगाल बना है,
प्रश्न:- बाप का कर्तव्य कौन-सा है, जिसमें बच्चों को मददगार बनना है?
उत्तर:- सारे विश्व पर एक डीटी गवर्मेन्ट स्थापन करना, अनेक धर्मों का विनाश और एक
गीत:- तुम्हीं हो माता, पिता.......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संगमयुग के पुरूषार्थ की प्रालब्ध 21 जन्म चलनी है - यह बात स्मृति में रख श्रेष्ठ कर्म
2) मीठे दैवी झाड़ का सैपलिंग लग रहा है इसलिए अति मीठे बनना है।
वरदान:- स्नेह की लिफ्ट द्वारा उड़ती कला का अनुभव करने वाले अविनाशी स्नेही भव
मेहनत से मुक्त होने के लिए बाप के स्नेही बनो। यह अविनाशी स्नेह ही अविनाशी लिफ्ट बन
स्लोगन:- शुभ संकल्प और दिव्य बुद्धि के यत्र द्वारा तीव्रगति की उड़ान भरते रहो।
इसे फिर पावन हीरे जैसा बनाना है, मीठे दैवी झाड़ का सैपलिंग लगाना है।''
प्रश्न:- बाप का कर्तव्य कौन-सा है, जिसमें बच्चों को मददगार बनना है?
उत्तर:- सारे विश्व पर एक डीटी गवर्मेन्ट स्थापन करना, अनेक धर्मों का विनाश और एक
सत धर्म की स्थापना करना - यही बाप का कर्तव्य है। तुम बच्चों को इस कार्य में मददगार
बनना है। ऊंच मर्तबा लेने का पुरुषार्थ करना है, ऐसे नहीं सोचना है कि हम स्वर्ग में तो जायेंगे ही।
गीत:- तुम्हीं हो माता, पिता.......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संगमयुग के पुरूषार्थ की प्रालब्ध 21 जन्म चलनी है - यह बात स्मृति में रख श्रेष्ठ कर्म
करने हैं। ज्ञान दान से अपनी प्रालब्ध बनानी है।
2) मीठे दैवी झाड़ का सैपलिंग लग रहा है इसलिए अति मीठे बनना है।
वरदान:- स्नेह की लिफ्ट द्वारा उड़ती कला का अनुभव करने वाले अविनाशी स्नेही भव
मेहनत से मुक्त होने के लिए बाप के स्नेही बनो। यह अविनाशी स्नेह ही अविनाशी लिफ्ट बन
उड़ती कला का अनुभव कराता है। लेकिन यदि स्नेह में अलबेलापन है तो बाप से करेन्ट नहीं
मिलती और लिफ्ट काम नहीं करती। जैसे लाइट बन्द होने से, कनेक्शन खत्म होने से लिफ्ट
द्वारा सुख की अनुभूति नहीं कर सकते, ऐसे स्नेह कम है तो मेहनत का अनुभव होता है,
इसलिए अविनाशी स्नेही बनो।
स्लोगन:- शुभ संकल्प और दिव्य बुद्धि के यत्र द्वारा तीव्रगति की उड़ान भरते रहो।