Saturday, March 8, 2014

Murli-[8-3-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - सत्य सुनाने वाला एक बाप है, इसलिए बाप से ही सुनो, 
मनुष्यों से नहीं, एक बाप से सुनने वाला ही ज्ञानी है'' 

प्रश्न:- जो आत्मायें अपने देवी-देवता घराने की होंगी, उनकी मुख्य निशानी क्या होगी? 
उत्तर:- उन्हें यह ज्ञान बहुत अच्छा और मीठा लगेगा। वह मनुष्य मत को छोड़ ईश्वरीय 
मत पर चलने लग पड़ेंगे। बुद्धि में आयेगा कि श्रीमत से ही हम श्रेष्ठ बनेंगे। अभी यह 
पुरूषोत्तम संगमयुग चल रहा है, हमें ही उत्तम पुरूष बनना है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बेहद का वैरागी बन जो कुछ अब तक भक्ति में पढ़ा वा सुना है, वह सब भूलना है। 
एक बाप से सुनकर, उनकी श्रीमत से स्वयं को श्रेष्ठ बनाना है। 

2) जैसे बाप सम्पूर्ण पवित्र है, उस पर कोई कट (जंक) नहीं। ऐसे पवित्र बनना है। ड्रामा 
के हर पार्टधारी का एक्यूरेट पार्ट है, इस गुह्य रहस्य को भी समझकर चलना है। 

वरदान:- बीती को श्रेष्ठ विधि से बीती कर यादगार स्वरूप बनाने वाले पास विद आनर भव 

``पास्ट इज़ पास्ट'' तो होना ही है। समय और दृश्य सब पास हो जायेंगे लेकिन पास विद 
आनर बनकर हर संकल्प वा समय को पास करो अर्थात् बीती को ऐसी श्रेष्ठ विधि से बीती 
करो, जो बीती को स्मृति में लाते ही वाह, वाह के बोल दिल से निकलें। अन्य आत्मायें 
आपकी बीती हुई स्टोरी से पाठ पढ़ें। आपकी बीती, यादगार-स्वरूप बन जाए तो कीर्तन 
अर्थात् कीर्ति गाते रहेंगे। 

स्लोगन:- स्व कल्याण का श्रेष्ठ प्लैन बनाओ तब विश्व सेवा में सकाश मिलेगी।