Wednesday, March 5, 2014

Murli-[5-3-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - जैसे बाप और दादा दोनों ही निरहंकारी हैं, निष्काम सेवा करते, अपने लिए 
कोई लोभ नहीं है-ऐसे तुम बच्चे भी बाप समान बनो'' 

प्रश्न:- गरीब निवाज़ बाप गरीब बच्चों की तकदीर किस आधार पर ऊंच बनाते हैं? 
उत्तर:- बाबा कहते - बच्चे, घर में रहते सब-कुछ सम्भालते सदा बुद्धि से यही समझो कि यह सब-कुछ 
बाबा का है। ट्रस्टी होकर रहो तो तकदीर ऊंची बन जायेगी। इसमें बहुत सच्चाई चाहिए। पूरा निश्चय हो 
तो जैसे यज्ञ से पालना होती रहेगी। घर में ट्रस्टी हो शिवबाबा के भण्डारे से खाते हैं। बाबा को सब सच 
बतलाना पड़े। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सदा इसी नशे में रहना है कि शान्ति, सुख, सम्पत्ति का सागर बाप हमें मिला है, हमें सब-कुछ एक 
से मिलता है। ऐसे बाप के हम सम्मुख बैठे हैं। वह हमें पढ़ा रहे हैं। 

2) अपना अहंकार छोड़ बाप समान निष्काम सेवा करनी है। निरहंकारी होकर रहना है। मैसेन्जर-पैगम्बर 
बन सबको पैगाम देना है। 

वरदान:- साधनों की प्रवृत्ति में रहते कमल फूल समान न्यारे और प्यारे रहने वाले बेहद के वैरागी भव 

साधन मिले हैं तो उन्हें बड़े दिल से यूज़ करो, यह साधन हैं ही आपके लिए, लेकिन साधना को मर्ज नहीं 
करो। पूरा बैलेन्स हो। साधन बुरे नहीं हैं, साधन तो आपके कर्म का, योग का फल हैं। लेकिन साधन की 
प्रवृत्ति में रहते कमल पुष्प समान न्यारे और बाप के प्यारे बनो। यूज़ करते हुए उन्हों के प्रभाव में नहीं 
आओ। साधनों में बेहद की वैराग्य वृत्ति मर्ज न हो। पहले स्वयं में इसे इमर्ज करो फिर विश्व में वायुमण्डल 
फैलाओ। 

स्लोगन:- परेशान को अपनी शान में स्थित कर देना ही सबसे अच्छी सेवा है।