Tuesday, March 18, 2014

Murli-[18-3-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हारी अब वानप्रस्थ अवस्था है क्योंकि तुम्हें वाणी से परे घर जाना है 
इसलिए याद में रहकर पावन बनो'' 

प्रश्न:- ऊंची मंज़िल पर पहुँचने के लिए किस बात की सम्भाल जरूर रखनी है? 
उत्तर:- आंखों की सम्भाल करो, यही बहुत धोखेबाज हैं। क्रिमिनल आंखें बहुत नुकसान करती हैं इसलिए 
जितना हो सके अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। भाई-भाई की दृष्टि का अभ्यास करो। 
सवेरे-सवेरे उठ एकान्त में बैठ अपने आपसे बातें करो। भगवान का हुक्म है-मीठे बच्चे, काम महाशत्रु 
से खबरदार रहो। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) भगवान ने जो पवित्र बनने का हुक्म दिया है, उसकी कभी भी अवज्ञा नहीं करनी है। बहुत-बहुत 
खबरदार रहना है। बापदादा दोनों की पालना का रिटर्न पवित्र बनकर दिखाना है। 

2) ड्रामा की भावी अटल बनी हुई है, उसे जानकर सदा निश्चिंत रहना है। विनाश के पहले सबको बाप 
का पैगाम पहुँचाना है। 

वरदान:- शुद्ध और समर्थ संकल्पों की शक्ति से व्यर्थ वायब्रेशन को समाप्त करने वाले सच्चे सेवाधारी भव 

कहा जाता है संकल्प भी सृष्टि बना देता है। जब कमजोर और व्यर्थ संकल्प करते हो तो व्यर्थ वायुमण्डल 
की सृष्टि बन जाती है। सच्चे सेवाधारी वह हैं जो अपने शुद्ध शक्तिशाली संकल्पों से पुराने वायब्रेशन को भी 
समाप्त कर दें। जैसे साइंस वाले शस्त्र से शस्त्र को खत्म कर देते हैं, एक विमान से दूसरे विमान को गिरा 
देते हैं ऐसे आपके शुद्ध, समर्थ संकल्प का वायब्रेशन, व्यर्थ वायब्रेशन को समाप्त कर दे, अब ऐसी सेवा करो। 

स्लोगन:- विघ्न रूपी सोने के महीन धागों से मुक्त बनो, मुक्ति वर्ष मनाओ।