Tuesday, March 11, 2014

Murli-[11-3-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - विचार सागर मंथन करने की आदत डालो, एकान्त में सुबह-सुबह 
विचार सागर मंथन करो तो अनेक नई-नई प्वाइन्ट बुद्धि में आयेंगी'' 

प्रश्न:- बच्चों को अपनी अवस्था फर्स्ट क्लास बनानी है तो किन-किन बातों का सदा ध्यान रहे? 
उत्तर:- 1- एक बाप जो सुनाते हैं वही सुनो, बाकी इस दुनिया का कुछ भी नहीं सुनो। 2- संग की 
सम्भाल रखो। जो अच्छी रीति पढ़ते हैं, धारणा करते हैं उनका ही संग करो तो अवस्था फर्स्ट 
क्लास हो जायेगी। कई बच्चों की अवस्था को देख बाबा को ख्याल आता कि ड्रामा में कुछ 
परिवर्तन हो जाये परन्तु फिर कहते-यह भी राजधानी स्थापन हो रही है। 

धारणा के लिये मुख्य सार:- 

1) एक बाप जो सुनाते व पढ़ाते हैं, वही सुनो व पढ़ो। बाकी कुछ भी पढ़ने-सुनने की दरकार 
नहीं। संग की बहुत-बहुत सम्भाल रखो। सवेरे-सवेरे एकान्त में बैठ विचार सागर मंथन करो। 

2) ड्रामा की भावी निश्चित बनी हुई है इसलिये सदा बेफिक्र रहो। किसी भी बात में संशय मत 
उठाओ। लोग भल क्या भी कहेंगे लेकिन तुम ड्रामा पर अटल रहो। 

वरदान:- संगठन में रहते, सबके स्नेही बनते बुद्धि का सहारा एक बाप को बनाने वाले कर्मयोगी भव 

कोई कोई बच्चे संगठन में स्नेही बनने के बजाए न्यारे बन जाते हैं। डरते हैं कि कहीं फंस न 
जाएं, इससे तो दूर रहना ठीक है। लेकिन नहीं, 21 जन्म परिवार में रहना है, अगर डरकर किनारा 
करेंगे तो यह भी कर्म-सन्यासी के संस्कार हुए। कर्मयोगी बनना है, कर्म सन्यासी नहीं। संगठन 
में रहो, सबके स्नेही बनो लेकिन बुद्धि का सहारा एक बाप हो, दूसरा न कोई। बुद्धि को कोई आत्मा 
का साथ, गुण वा कोई विशेषता आकर्षित न करे तब कहेंगे कर्मयोगी पवित्र अत्मा। 

स्लोगन:- बापदादा के राइट हैण्ड बनो, लेफ्ट हैण्ड नहीं।