मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें पढ़ाई कभी मिस नहीं करनी है, पढ़ाई से ही स्कॉलरशिप मिलती है
प्रश्न:- लायक ब्राह्मण किसे कहेंगे? उसकी निशानी सुनाओ?
उत्तर:- 1.लायक ब्राह्मण वह जिसके मुख पर बाबा का गीता ज्ञान कण्ठ हो,
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत को छोड़ कभी परमत पर नहीं चलना है। उल्टी-सुल्टी बातों में
2) अपनी जांच करनी है कि हम कहाँ गफ़लत तो नहीं करते हैं? पढ़ाई पर
वरदान:- हद के नाज़-नखरों से निकल रूहानी नाज़ में रहने वाले प्रीत बुद्धि भव
कई बच्चे हद के स्वभाव, संस्कार के नाज़-नखरे बहुत करते हैं। जहाँ मेरा स्वभाव,
स्लोगन:- बाप से, सेवा से और परिवार से मुहब्बत है तो मेहनत से छूट जायेंगे।
इसलिए बाप द्वारा जो नॉलेज मिलती है उसे ग्रहण करो''
प्रश्न:- लायक ब्राह्मण किसे कहेंगे? उसकी निशानी सुनाओ?
उत्तर:- 1.लायक ब्राह्मण वह जिसके मुख पर बाबा का गीता ज्ञान कण्ठ हो,
2. जो बहुतों को आप समान बनाता रहे,
3. बहुतों को ज्ञान धन का दान-पुण्य करे,
4. कभी आपस में एक-दो के मतभेद में न आये,
5. किसी भी देहधारी में बुद्धि लटकी हुई न हो,
6. ब्राह्मण अर्थात् जिसमें कोई भूत न हो, जो देह अंहकार को छोड़
देही-अभिमानी रहने का पुरूषार्थ करे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत को छोड़ कभी परमत पर नहीं चलना है। उल्टी-सुल्टी बातों में
आकर पढ़ाई से मुख नहीं मोड़ना है। मतभेद में नहीं आना है।
2) अपनी जांच करनी है कि हम कहाँ गफ़लत तो नहीं करते हैं? पढ़ाई पर
पूरा अटेन्शन है? समय व्यर्थ तो नहीं गँवाते हैं? आत्म-अभिमानी बने हैं?
रूहानी सेवा दिल से करते हैं?
वरदान:- हद के नाज़-नखरों से निकल रूहानी नाज़ में रहने वाले प्रीत बुद्धि भव
कई बच्चे हद के स्वभाव, संस्कार के नाज़-नखरे बहुत करते हैं। जहाँ मेरा स्वभाव,
मेरे संस्कार यह शब्द आता है वहाँ ऐसे नाज़ नखरे शुरू हो जाते हैं। यह मेरा शब्द
ही फेरे में लाता है। लेकिन जो बाप से भिन्न है वह मेरा है ही नहीं। मेरा स्वभाव
बाप के स्वभाव से भिन्न हो नहीं सकता, इसलिए हद के नाज़ नखरे से निकल
रूहानी नाज़ में रहो। प्रीत बुद्धि बन मोहब्बत की प्रीत के नखरे भल करो।
स्लोगन:- बाप से, सेवा से और परिवार से मुहब्बत है तो मेहनत से छूट जायेंगे।