23-03-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:16-06-77 मधुबन
एक ही पढ़ाई द्वारा नम्बरवार पूज्य पद पाने का गुह्य रहस्य
वरदान:- दिल में एक दिलाराम को समाकर एक से सर्व संबंधों की अनुभूति करने वाले सन्तुष्ट आत्मा भव
नॉलेज को समाने का स्थान दिमाग है लेकिन माशूक को समाने का स्थान दिल है। कोई-कोई आशिक
स्लोगन:- अमृतवेले प्लेन बुद्धि होकर बैठो तो सेवा की नई विधियां टच होंगी।
एक ही पढ़ाई द्वारा नम्बरवार पूज्य पद पाने का गुह्य रहस्य
वरदान:- दिल में एक दिलाराम को समाकर एक से सर्व संबंधों की अनुभूति करने वाले सन्तुष्ट आत्मा भव
नॉलेज को समाने का स्थान दिमाग है लेकिन माशूक को समाने का स्थान दिल है। कोई-कोई आशिक
दिमाग ज्यादा चलाते हैं लेकिन बापदादा सच्ची दिल वालों पर राज़ी है इसलिए दिल का अनुभव दिल
जाने, दिलाराम जाने। जो दिल से सेवा करते वा याद करते हैं उन्हें मेहनत कम और सन्तुष्टता ज्यादा
मिलती है। दिल वाले सदा सन्तुष्टता के गीत गाते हैं। उन्हें समय प्रमाण एक से सर्व संबंधों की अनुभूति
होती है।
स्लोगन:- अमृतवेले प्लेन बुद्धि होकर बैठो तो सेवा की नई विधियां टच होंगी।