Thursday, March 6, 2014

Murli-[6-3-2014]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - अन्तर्मुखी बन विचार सागर मंथन करो तो खुशी और नशा रहेगा, 
तुम बाप समान टीचर बन जायेंगे 

प्रश्न:- किस आधार पर अन्दर की खुशी स्थाई रह सकती है? 
उत्तर:- स्थाई खुशी तब रहेगी जब औरों का भी कल्याण कर सबको खुश करेंगे। रहमदिल 
बनो तो खुशी रहे। जो रहमदिल बनते हैं उनकी बुद्धि में रहता कि ओहो, हमें सर्व आत्माओं 
का बाप पढ़ा रहे हैं, पावन बना रहे हैं, हम विश्व का महाराजा बनते हैं! ऐसी खुशी का वह 
दान करते रहते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) हम गोपी-वल्लभ की गोप-गोपियां हैं - इस खुशी वा नशे में रहना है। अन्तर्मुखी बन विचार 
सागर मंथन कर बाप समान टीचर बनना है। 

2) सुदामा मिसल अपना सब कुछ ट्रान्सफर करने के साथ-साथ पढ़ाई भी अच्छी रीति पढ़नी है। 
विनाश के पहले बाप से पूरा वर्सा लेना है। कुम्भकरण की नींद में सोये हुए को जगाना है। 

वरदान:- विल पावर द्वारा सेकण्ड में व्यर्थ को फुलस्टाप लगाने वाले अशरीरी भव 

सेकण्ड में अशरीरी बनने का फाउन्डेशन - यह बेहद की वैराग्य वृत्ति है। यह वैराग्य ऐसी योग्य 
धरनी है उसमें जो भी डालो उसका फल फौरन निकलता है। तो अब ऐसी विल पावर हो जो 
संकल्प किया - व्यर्थ समाप्त, तो सेकण्ड में समाप्त हो जाए। जब चाहो, जहाँ चाहो, जिस 
स्थिति में चाहो सेकण्ड में सेट कर लो, सेवा खींचे नहीं। सेकण्ड में फुलस्टाप लग जाए 
तो सहज ही अशरीरी बन जायेंगे। 

स्लोगन:- बाप समान बनना है तो बिगड़ी को बनाने वाले बनो।