मुरली सार:- मीठे बच्चे - प्राण दान देने वाला बाप है, वह नॉलेज ऐसी देते हैं जिससे प्राण दान मिल जाता है,
प्रश्न:- किस आधार पर 21 जन्मों तक तुम्हारे सब भण्डारे भरपूर रहते हैं?
उत्तर:- संगमयुग पर तुम बच्चों को जो नॉलेज मिलती है, यह सोर्स ऑफ इनकम है। इस पढ़ाई के आधार से
धारणा के लिये मुख्य सार :-
1) इस अन-सुधरी पुरानी दुनिया को सुधारने के लिये स्वयं को सुधारना है, अपनी बुद्धि को बाप की याद
2) आपस में रूहरिहान करनी है, वाद-विवाद नहीं। नॉलेज का दान दे सर्व का भण्डारा भरपूर करना है।
वरदान:- पवित्रता के वरदान को निज़ी संस्कार बनाकर पवित्र जीवन बनाने वाले मेहनत मुक्त भव
कई बच्चों को पवित्रता में मेहनत लगती है, इससे सिद्ध है वरदाता बाप से जन्म का वरदान नहीं लिया है।
स्लोगन:- ट्रस्टी वह है जिसमें सेवा की शुद्ध भावना है।
ऐसे प्राण दान देने वाले बाप को प्यार से याद करो
प्रश्न:- किस आधार पर 21 जन्मों तक तुम्हारे सब भण्डारे भरपूर रहते हैं?
उत्तर:- संगमयुग पर तुम बच्चों को जो नॉलेज मिलती है, यह सोर्स ऑफ इनकम है। इस पढ़ाई के आधार से
सब भण्डारे भरपूर हो जाते हैं। इस पढ़ाई से 21 जन्मों की खुशी मिल जाती है। ऐसी कोई चीज़ नहीं, जिसके
प्राप्ति की इच्छा रहे। बाबा नॉलेज का दान ऐसा देते हैं, जिससे आत्मा क्या से क्या बन जाती है।
धारणा के लिये मुख्य सार :-
1) इस अन-सुधरी पुरानी दुनिया को सुधारने के लिये स्वयं को सुधारना है, अपनी बुद्धि को बाप की याद
से रिफाइन बनाना है।
2) आपस में रूहरिहान करनी है, वाद-विवाद नहीं। नॉलेज का दान दे सर्व का भण्डारा भरपूर करना है।
वरदान:- पवित्रता के वरदान को निज़ी संस्कार बनाकर पवित्र जीवन बनाने वाले मेहनत मुक्त भव
कई बच्चों को पवित्रता में मेहनत लगती है, इससे सिद्ध है वरदाता बाप से जन्म का वरदान नहीं लिया है।
वरदान में मेहनत नहीं होती। हर ब्राह्मण आत्मा को जन्म का पहला वरदान है ``पवित्र भव, योगी भव''।
जैसे जन्म के संस्कार बहुत पक्के होते हैं, तो पवित्रता ब्राह्मण जन्म का आदि संस्कार, निजी संस्कार है।
इसी स्मृति से पवित्र जीवन बनाओ। मेहनत से मुक्त बनो।
स्लोगन:- ट्रस्टी वह है जिसमें सेवा की शुद्ध भावना है।