Friday, March 21, 2014

Murli-[21-3-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अब वापिस जाना है इसलिए पुरानी देह और पुरानी दुनिया से उपराम बनो, 
अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए योग की भट्ठी में बैठो'' 

प्रश्न:- योग में बाप की पूरी करेन्ट किन बच्चों को मिलती है? 
उत्तर:- जिनकी बुद्धि बाहर में नहीं भटकती। अपने को आत्मा समझ बाप की याद में रहते हैं, उन्हें बाप 
की करेन्ट मिलती है। बाबा बच्चों को सकाश देते हैं। बच्चों का काम है बाप की करेन्ट को कैच करना 
क्योंकि उस करेन्ट से ही आत्मा रूपी बैटरी चार्ज होगी, ताकत आयेगी, विकर्म विनाश होंगे। इसे ही 
योग की अग्नि कहा जाता है, इसका अभ्यास करना है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) आत्मा को स्वच्छ बनाने के लिए सवेरे-सवेरे बाप से सर्च लाइट लेनी है, बुद्धियोग बाहर से निकाल 
एक बाप में लगाना है। बाप की करेन्ट को कैच करना है। 

2) आपस में भाई-भाई के सच्चे लव से रहना है। सबको रिगार्ड देना है। आत्मा भाई अकाल तख्त पर 
विराजमान है, इसलिए भ्रकुटी में ही देखकर बात करनी है। 

वरदान:- परमात्म लव में लीन होने वा मिलन में मग्न होने वाले सच्चे स्नेही भव 

स्नेह की निशानी गाई जाती है - कि दो होते भी दो न रहें लेकिन मिलकर एक हो जाएं, इसको ही समा 
जाना कहते हैं। भक्तों ने इसी स्नेह की स्थिति को समा जाना वा लीन होना कह दिया है। लव में लीन 
होना - यह स्थिति है लेकिन स्थिति के बदले उन्होंने आत्मा के अस्तित्व को सदा के लिए समाप्त होना 
समझ लिया है। आप बच्चे जब बाप के वा रूहानी माशूक के मिलन में मग्न हो जाते हो तो समान बन 
जाते हो। 

स्लोगन:- अन्तर्मुखी वह है जो व्यर्थ संकल्पों से मन का मौन रखता है।