मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम रॉयल कुल के रॉयल स्टूडेन्ट हो, तुम्हारी चलन बहुत
प्रश्न:- विनाश के समय अन्तिम पेपर में पास कौन होगा? उसके लिए पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:- अन्तिम पेपर में पास वही हो सकता है जिसे बाप के सिवाए पुरानी दुनिया की
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्त समय में पास होने के लिए इस शरीर और दुनिया से उपराम रहना है, किसी
2) बहुत धैर्य और प्यार से सबको दो बाप का परिचय देना है। ज्ञान रत्नों से झोली
वरदान:- विघ्नकारी आत्मा को शिक्षक समझ उनसे पाठ पढ़ने वाले अनुभवी-मूर्त भव
जो आत्मायें विघ्न डालने के निमित्त बनती हैं उन्हें विघ्नकारी आत्मा नहीं देखो, उनको
स्लोगन:- कम्पलेन्ट के फाइल खत्म कर फाइन और रिफाइन बनो।
रॉयल होनी चाहिए तब ही बाप का शो कर सकेंगे''
प्रश्न:- विनाश के समय अन्तिम पेपर में पास कौन होगा? उसके लिए पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:- अन्तिम पेपर में पास वही हो सकता है जिसे बाप के सिवाए पुरानी दुनिया की
कोई भी चीज़ याद न आये। याद आई तो फेल। इसके लिए बेहद की सारी दुनिया से
ममत्व निकल जाए। भाई-भाई की पक्की अवस्था हो। देह-अभिमान टूटा हुआ हो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्त समय में पास होने के लिए इस शरीर और दुनिया से उपराम रहना है, किसी
भी चीज़ में आसक्ति नहीं रखनी है। बुद्धि में रहे कि अब हम ट्रान्सफर हुए कि हुए।
2) बहुत धैर्य और प्यार से सबको दो बाप का परिचय देना है। ज्ञान रत्नों से झोली
भरकर दान करना है। कांटों को फूल बनाने की सेवा जरूर करनी है।
वरदान:- विघ्नकारी आत्मा को शिक्षक समझ उनसे पाठ पढ़ने वाले अनुभवी-मूर्त भव
जो आत्मायें विघ्न डालने के निमित्त बनती हैं उन्हें विघ्नकारी आत्मा नहीं देखो, उनको
सदा पाठ पढ़ाने वाली, आगे बढ़ाने वाली निमित्त आत्मा समझो। अनुभवी बनाने वाले
शिक्षक समझो। जब कहते हो निंदा करने वाले मित्र हैं, तो विघ्नों को पास कराके अनुभवी
बनाने वाले शिक्षक हुए इसलिए विघ्नकारी आत्मा को उस दृष्टि से देखने के बजाए सदा
के लिए विघ्नों से पार कराने के निमित्त, अचल बनाने के निमित्त समझो, इससे और
भी अनुभवों की अथॉरिटी बढ़ती जायेगी।
स्लोगन:- कम्पलेन्ट के फाइल खत्म कर फाइन और रिफाइन बनो।