Thursday, September 5, 2013

Murli[5-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - याद के पुरूषार्थ से ही कर्मातीत बनेंगे इसलिए कभी अपने को मिया 
मिट्ठू नहीं समझना, याद के बल से अन्दर में जो कमियां हैं, उन्हें निकालते रहना'' 

प्रश्न:- सभी बच्चों की अवस्था को मजबूत बनाने के लिए बाप कौन सी चैलेन्ज करते हैं? 
उत्तर:- बच्चे, भोजन बनाते हुए पूरा समय याद में रहकर दिखाओ - यह बाप बच्चों को चैलेन्ज 
करते हैं। शिवबाबा की याद में भोजन बनायेंगे तो ताकत भर जायेगी, अवस्था बहुत अच्छी हो 
जायेगी। परन्तु बच्चे भूल जाते हैं। इसके लिए एक-दो को याद दिलाने का पुरूषार्थ करो। डबल 
सार्विस करनी है। कर्मणा के साथ-साथ नर से नारायण बनाने की भी सेवा करो। 

गीत:- धीरज धर मनुवा........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) एक-दो को बाप की याद दिलाने का पुरूषार्थ करना है। बाप, टीचर, सतगुरू तीनों को साथ-साथ 
याद करना है। भोजन बनाते वा खाते समय याद में जरूर रहना है। 

2) सच्चे दिल से बाप की सार्विस में लगना है। कांटों को फूल, मनुष्य को देवता बनाने की सेवा करनी है। 

वरदान:- ज्वाला रूप की याद द्वारा स्वयं को परिवर्तन कर ब्राह्मण से फरिश्ता, सो देवता भव 

जैसे अग्नि में कोई भी चीज़ डाली जाती है तो नाम, रूप, गुण सब बदल जाता है। ऐसे जब बाप के 
याद की लगन की अग्नि में पड़ते हो तो परिवर्तन हो जाते हो। मनुष्य से ब्राह्मण, फिर ब्राह्मण से 
फरिश्ता सो देवता बन जाते हो। जैसे कच्ची मिट्टी को सांचें में ढालकर आग में डालते हैं तो ईट 
बन जाती, ऐसे यह भी परिवर्तन हो जाता, इसलिए याद को ज्वाला रूप कहा जाता है। 

स्लोगन:- शक्तिशाली आत्मा वह है जो जब चाहे तब शीतल स्वरूप और जब चाहे तब ज्वाला रूप धारण कर ले।