Monday, September 30, 2013

Murli[30-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - ज्ञान सागर बाप से वर्सा लेना है तो 20 नाखूनों का जोर देकर भी 
पढ़ाई जरूर पढ़ो, पढ़ाई से ही राजाई वा जीवनमुक्ति पद प्राप्त होगा'' 

प्रश्न:- ज्ञान मार्ग में सदा कायम कौन रह सकता है? ऊंच पद की प्राप्ति का आधार क्या है? 
उत्तर:- जिनका पढ़ाई के सिवाए दूसरा किसी भी बात में शौक नहीं है, ज्ञान की परिपक्व 
अवस्था है, वही इस ज्ञान मार्ग में कायम रह सकते हैं। बाकी ध्यान दीदार की आश रखना, 
खेलपाल करना, इससे कोई फ़ायदा नहीं, और ही माया प्रवेश कर लेती है फिर बाप का हाथ 
वा पढ़ाई छोड़ देते हैं। ऊंच पद के लिए पढ़ाई पर फुल अटेन्शन चाहिए। 

गीत:- तुम्हीं हो माता........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) विजय माला में आने की हिम्मत दिखानी है। सिमरण लायक बनने के लिए सबको सुख देना है।
 
2) सपूत स्टूडेन्ट बन बाप-टीचर का नाम बाला करना है। कभी भी काम व क्रोध के भूत के वश 
हो उल्टा काम नहीं करना है। 

वरदान:- अखण्ड स्मृति द्वारा विघ्नों को विदाई देने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव 

संगमयुग विघ्नों को विदाई देने का युग है, जिसको आधाकल्प के लिए विदाई दे चुके उसको 
फिर आने न दो। सदा याद रखो हम विजयी रत्न हैं, मास्टर सर्वशक्तिमान हैं - यह स्मृति अखण्ड 
रहे तो शक्तिशाली आत्मा के सामने माया का विघ्न आ नहीं सकता। विघ्न आया फिर मिटाया 
तो अखण्ड अटल नहीं कहेंगे, इसलिए सदा शब्द पर अटेन्शन दो। सदा याद में रहने से सदा 
निर्विघ्न रहेंगे और विजय का नगाड़ा बजता रहेगा। 

स्लोगन:- ईश्वरीय सेवा में खुद को आफर करना ही बापदादा की आफरीन लेना है।