मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - ज्ञान की एक बूंद है अपने को आत्मा समझो और बाप को याद करो,
प्रश्न:- किस पुरूषार्थ में अपनी और दूसरों की उन्नति समाई हुई है?
उत्तर:- 1- याद में रहने का पुरूषार्थ करो, इसमें ही अपनी और दूसरों की उन्नति समाई हुई है।
1) बाप के साथ सारे विश्व को शान्ति का दान देना है। बाप समान दु:ख हर्ता सुख-कर्ता बनना है।
2) एक बाप से पूरा लव रखना है। आपस में देह-अभिमान की बातें नहीं करनी है।
वरदान:- कम्बाइन्ड रूपधारी बन सेवा में खुदाई जादू का अनुभव करने वाले खुदाई खिदमतगार भव
स्वयं को सिर्फ सेवाधारी नहीं लेकिन ईश्वरीय सेवाधारी समझकर सेवा करो। इस स्मृति से याद और
स्लोगन:- कर्मयोगी बनना है तो कमल आसनधारी (न्यारे और प्यारे) बनो।
इसी एक बूंद से मुक्ति-जीवनमुक्ति प्राप्त हो सकती है''
प्रश्न:- किस पुरूषार्थ में अपनी और दूसरों की उन्नति समाई हुई है?
उत्तर:- 1- याद में रहने का पुरूषार्थ करो, इसमें ही अपनी और दूसरों की उन्नति समाई हुई है।
तुम बच्चे जब याद में बैठते हो तो जैसे दूसरों को शान्ति का दान देते हो। 2- आपस में देह-अभिमान
की जिस्मानी बातें छोड़ रूहानी बातें करो तो उन्नति होती रहेगी। तुम्हें बाप का शो करना है। जितना
शो करेंगे सबको शान्ति और सुख का मार्ग बतायेंगे, उतना इज़ाफ़ा (इनाम) मिलेगा।
गीत:- तू प्यार का सागर है......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप के साथ सारे विश्व को शान्ति का दान देना है। बाप समान दु:ख हर्ता सुख-कर्ता बनना है।
2) एक बाप से पूरा लव रखना है। आपस में देह-अभिमान की बातें नहीं करनी है।
रूहानी बातें ही करनी है।
वरदान:- कम्बाइन्ड रूपधारी बन सेवा में खुदाई जादू का अनुभव करने वाले खुदाई खिदमतगार भव
स्वयं को सिर्फ सेवाधारी नहीं लेकिन ईश्वरीय सेवाधारी समझकर सेवा करो। इस स्मृति से याद और
सेवा स्वत: कम्बाइन्ड हो जायेगी। जब खुदा को खिदमत से जुदा कर देते हो तो अकेले होने के कारण
सफलता की मंजिल दूर दिखाई देती है इसलिए सिर्फ खिदमतगार नहीं, लेकिन खुदाई खिदमतगार
हूँ-यह नाम सदा याद रहे तो सेवा में स्वत: खुदाई जादू भर जायेगा और असम्भव भी सम्भव हो जायेगा।
स्लोगन:- कर्मयोगी बनना है तो कमल आसनधारी (न्यारे और प्यारे) बनो।