Monday, September 9, 2013

Murli[9-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - पद का आधार पढ़ाई पर है, पढ़कर फिर पढ़ाना है, 
गली-गली में जाकर बाप का परिचय देना है'' 

प्रश्न:- तुम बच्चों को किस इच्छा से परे रहकर सेवा में लगे रहना है? 
उत्तर:- तुम रहमदिल बच्चे हो, तुम्हें किसी से पैसा लेने की इच्छा नहीं रखनी है। 
इस इच्छा से परे रहकर दान करने की सेवा में, दूसरों को आपसमान बनाने में लगे 
रहना है। बुद्धि में रहे - जिसकी तकदीर में होगा वह बीज अवश्य बोयेंगे। अगर कोई 
वाचा या कर्मणा सेवा नहीं कर सकते हैं तो धन से भी सहयोगी बनते हैं। 
गरीब बच्चे तो चावल मुट्ठी देकर महल ले लेते हैं। 

गीत:- प्रीतम आन मिलो........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) रमता योगी बन सेवा करनी है। मन्सा, वाचा, कर्मणा किसी भी प्रकार की 
सेवा में बिजी जरूर रहना है। 

2) रात को जागकर कमाई करनी है। नींद को जीतने वाला बनना है। मुरली किसी 
भी परिस्थिति में जरूर पढ़नी है। 

वरदान:- दया भाव को धारण कर सर्व की समस्याओं को समाप्त करने वाले मास्टर दाता भव 

जिन आत्माओं के भी सम्पर्क में आते हो, चाहे कोई कैसे भी संस्कार वाला हो, 
आपोजीशन करने वाला हो, स्वभाव के टक्कर खाने वाला हो, क्रोधी हो, कितना 
भी विरोधी हो, आपकी दया भावना उसके अनेक जन्मों के कड़े हिसाब-किताब को 
सेकण्ड में समाप्त कर देगी। आप सिर्फ अपने अनादि आदि दाता पन के संस्कारों 
को इमर्ज कर दया भाव को धारण कर लो तो ब्राह्मण परिवार की सर्व समस्यायें 
समाप्त हो जायेंगी। 

स्लोगन:- अपने रहमदिल स्वरूप वा दृष्टि से हर आत्मा को परिवर्तन करना ही पुण्यात्मा बनना है।