Monday, September 23, 2013

Murli[23-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - सत का संग एक ही है जिससे तुम्हारी सद्गति होती है, आत्मा 
पावन बनती है, बाकी सब हैं कुसंग, इसलिए कहा जाता - संग तारे कुसंग बोरे'' 

प्रश्न:- बाप का ऐसा कौनसा कर्तव्य है जो कोई भी धर्म स्थापक नहीं कर सकता? 
उत्तर:- बाप का कर्तव्य है सबको पतित से पावन बनाकर वापिस घर ले जाना। बाप आते हैं - 
सबको इन शरीरों से मुक्त करने अर्थात् मौत देने। यह काम कोई धर्म स्थापक नहीं कर 
सकता। उनके पिछाड़ी तो उनके धर्म की पावन आत्मायें ऊपर से उतरती हैं और अपना-
अपना पार्ट बाजाए पावन से पतित बनती हैं। 

गीत:- जाग सजनिया जाग........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) दैवी गुण धारण कर स्वयं की जीवन को पलटाना है। सचखण्ड में चलने के लिए 
सच्चे बाप से सच्चा रहना है। 

2) एक सत बाप के संग में रहना है। मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई अच्छी तरह पढ़कर 
बेहद का वर्सा लेना है। 

वरदान:- बुद्धि के चमत्कार द्वारा आकार में साकार का अनुभव करने वाले दिलाराम के दिलरूबा भव
 
कई बच्चे आये भल पीछे हैं लेकिन आकार रूप द्वारा भी अनुभव साकार रूप का करते हैं। 
ऐसे अनुभव से बोलते कि हमने साकार में पालना ली है और अब भी ले रहे हैं। तो आकार 
रूप में साकार का अनुभव करना यह बुद्धि की लगन का, स्नेह का प्रत्यक्ष स्वरूप है। यह 
भी बुद्धि के चमत्कार का सबूत है। ऐसे बच्चे ही दिलाराम बाप के समीप दिलाराम के दिलरूबा 
हैं जिनके दिल में सदा यही गीत बजता है - वाह मेरा बाबा वाह। 

स्लोगन:- त्यागी आत्मा के हर कर्म वा कदम में सफलता समाई हुई है।