Friday, September 6, 2013

Murli[6-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें पुरूषार्थ कर एयरकन्डीशन की टिकेट खरीद करनी है, 
एयरकन्डीशन टिकेट लेना अर्थात् माया की गर्म हवा अथवा वार से सेफ रहना'' 

प्रश्न:- तुम बच्चों को महाविनाश का दु:ख होगा या नहीं? इसका पाप किस पर चढ़ता है? 
उत्तर:- तुम्हें इस महाविनाश का दु:ख हो नहीं सकता क्योंकि तुम तो फरिश्ता बनते हो। 
तुमको नॉलेज है कि अब सभी आत्माओं को मच्छरों सदृश्य वापिस घर जाना है। तुम्हें 
किसी की मौत पर दु:ख नहीं होता क्योंकि तुम साक्षी हो देखते हो, तुम जानते हो आत्मा 
तो सदा अमर है। इस विनाश का पाप किसी पर भी नहीं लगता, यह तो जैसे लड़ाई का 
यज्ञ रचा हुआ है। सभी लड़ मरकर घर वापस जायेंगे। यह भी ड्रामा की भावी है। 

गीत:- महफ़िल में जल उठी शमा........ 

धारणा के लिये मुख्य सार:- 

1) शिवबाबा से मिला हुआ ख़जाना सभी को बांटना है। अविनाशी ज्ञान-रत्नों का दान 
करके 21 जन्मों के लिये साहूकार बनना है। 

2) अपनी अवस्था अचल-अडोल बनानी है। गृहस्थ व्यवहार में रहते भी कमल फूल 
समान बन बाप का नाम बाला करना है। सार्विस में तत्पर रहना है। 

वरदान:- मालिक बन कर्मेन्द्रियों से कर्म कराने वाले कर्मयोगी, कर्मबन्धनमुक्त भव 

ब्राह्मण जीवन कर्मबन्धन का जीवन नहीं, कर्मयोगी जीवन है। कर्मेन्द्रियों के मालिक 
बन जो चाहो, जैसे चाहे, जितना समय कर्म करने चाहो वैसे कर्मेन्द्रियों से कराते चलो 
तो ब्राह्मण सो फरिश्ता बन जायेंगे। कर्मबन्धन समाप्त हो जायेंगे। यह देह सेवा के अर्थ 
मिली है, कर्मबन्धन के हिसाब-किताब की जीवन समाप्त हुई। पुरानी देह और देह की 
दुनिया का संबंध समाप्त हुआ, इसलिए इसे मरजीवा जीवन कहते हैं। 

स्लोगन:- दिलाराम के साथ का अनुभव करना है तो साक्षीपन की स्थिति में रहो।