Sunday, September 22, 2013

Murli[21-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें 100 परसेन्ट सर्वगुणों में सम्पन्न बनना है, दिल दर्पण 
में देखना है कि हम कहाँ तक पावन बने हैं'' 

प्रश्न:- तुम बच्चे कौनसा उत्सव रोज़ मनाते हो और मनुष्य कौनसा उत्सव मनाते हैं? 
उत्तर:- तुम दैवी धर्म की स्थापना का अर्थात् भारत को स्वर्ग बनाने का उत्सव रोज़ मनाते 
हो। रोज़ तुम्हें मनुष्य को देवता बनाने की सैपलिंग लगानी है। वे मनुष्य तो जंगल के कांटों 
की सैपलिंग लगाते और नाम देते हैं वनोत्सव। तुम कांटों से फूल बनाने का उत्सव रोज़ 
मनाते हो। तुम्हारे जैसा उत्सव और कोई मना नहीं सकता। 

गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) योगबल से विषय वैतरणी की बड़ी खाड़ी को पार करना है। उल्टे संकल्पों में मुरझाना नहीं 
है। मजबूत रहना है। 

2) पूज्यनीय बनने के लिए बाप के साथ भारत को सिरताज बनाने की सेवा करनी है। 

वरदान:- क्लीयर बुद्धि द्वारा हर बात को परख कर यथार्थ निर्णय करने वाले सफलता मूर्त भव 

जितनी बुद्धि क्लीयर है उतनी परखने की शक्ति प्राप्त होती है। ज्यादा बातें सोचने के बजाए एक 
बाप की याद में रहो, बाप से क्लीयर रहो तो हर बात को सहज ही परखकर यथार्थ निर्णय कर 
सकेंगे। जिस समय जैसी परिस्थिति, जैसा सम्पर्क-सम्बन्ध वाले का मूड, उसी समय पर उस 
प्रमाण चलना, उसको परखकर निर्णय लेना यह भी बहुत बड़ी शक्ति है जो सफलतामूर्त बना 
देती है। 

स्लोगन:- ज्ञान सूर्य बाप के साथ लकी सितारे वह हैं जो जग से अंधकार को मिटाने वाले हैं, 
अंधकार में आने वाले नहीं।