29-09-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:09-05-77 मधुबन
सम्पूर्ण पवित्रता ही विशेष पार्ट बजाने वालों का श्रृंगार हैवरदान:- बाप समान बेहद की वृत्ति रखने वाले मास्टर विश्व कल्याणकारी भव
बेहद की वृत्ति अर्थात् सर्व आत्माओं के प्रति कल्याण की वृत्ति रखना - यही मास्टर विश्वकल्याणकारी
बनना है। सिर्फ अपने वा अपने हद के निमित्त बनी हुई आत्माओं के कल्याण अर्थ नहीं लेकिन सर्व
के कल्याण की वृत्ति हो। जो अपनी उन्नति में, अपनी प्राप्ति में, अपने प्रति सन्तुष्टता में राज़ी होकर
चलने वाले हैं, वह स्व-कल्याणी हैं। लेकिन जो बेहद की वृत्ति रख बेहद सेवा में बिजी रहते हैं
उन्हें कहेंगे बाप समान मास्टर विश्व कल्याणकारी।
स्लोगन:- निंदा-स्तुति, मान-अपमान, हानि-लाभ में समान रहने वाले ही योगी तू आत्मा हैं।