Friday, September 20, 2013

Murli[20-09-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हारा किसी से भी वैर नहीं होना चाहिए क्योंकि तुम हो सबके 
कल्याणकारी, वैर रखने वाले को हाफ कास्ट ब्राह्मण कहेंगे'' 

प्रश्न:- कौन सी स्मृति बुद्धि में सदा रहे तो निर्भय बन जायेंगे? 
उत्तर:- सदा स्मृति में रहे कि हम सचखण्ड के मालिक देवी-देवता बन रहे हैं, शरीर को कोई 
मारता भी है लेकिन आत्मा को मार नहीं सकता। गोली शरीर को लगती है। मैं आत्मा तो 
जा रही हूँ बाबा के पास, हमको क्या डर है। हम बैठे हैं, छत गिर जाती है, हम बाबा के पास 
चले जायेंगे। इसमें डरने की कोई बात नहीं। ऐसा निर्भय बनना है। 

गीत:- माता ओ माता........ 

धारणा के लिये मुख्य सार:- 

1) कलियुगी तमोप्रधान संस्कारों को निकाल सच्चा ब्राह्मण बनना है। किसी से भी वैर नहीं रखना है। 

2) निर्भय बनने के लिये आत्म-अभिमानी रहने का अभ्यास करना है। हम शिव शक्ति सेना हैं, 
हमें तो सचखण्ड का मालिक बनना है - इसी नशे में रहना है। 

वरदान:- अपनी चलन और चेहरे द्वारा सेवा करने वाले निरन्तर योगी निरन्तर सेवाधारी भव 

सदा इस स्मृति में रहो कि बाप को जानने और पाने वाली कोटों में कोई हम आत्मायें हैं, इसी 
खुशी में रहो तो आपके यह चेहरे चलते फिरते सेवाकेन्द्र हो जायेंगे। आपके हार्षित चेहरे से बाप 
का परिचय मिलता रहेगा। बापदादा हर बच्चे को ऐसा ही योग्य समझते हैं। तो चलते फिरते, खाते 
पीते अपनी चलन और चेहरे द्वारा बाप का परिचय देने की सेवा करने से सहज ही निरन्तर योगी, 
निरन्तर सेवाधारी बन जायेंगे। 

स्लोगन:- जो अंगद समान सदा अचल अडोल एकरस रहते हैं, उन्हें माया दुश्मन हिला भी नहीं सकती।